जो पानी से नहाता है, सिर्फ लिवाज़ बदलता है, जो पसीने से नहाता है, वह इतिहास बदलता है।
इस दुनिया के मुकद्दर के पटल पर उसी का नाम जो़र से चमका जिसने ” संघर्ष को सह हर्ष ” स्वीकार किया! आज हम क्रिकेट जगत के एक ऐसे ही संघर्ष की बात करेंगे जिसने अपनी मेहनत और पसीने की बूंदों से क्रिकेट इतिहास में कई-नई इबारते लिख डाली! हम बात करने जा रहे हैं, 90 के दशक के उस दक्षिण अफ्रीकाई खिलाड़ी कि जिस को क्रिकेट जगत में सुपरमैन के तमगे से नवाजा गया।
यदि आपका भी बचपन 90 के दशक में गुजरा है, तो आपने वास्तव में सुपरमैन को उड़ते हुए भले ना देखा हो, परंतु क्रिकेट मैदान के सुपरमैन को उड़ते हुए जरूर देखा होगा ,जी हां हम बात कर रहे हैं जोंटी रोड्स की जिन्होंने अपनी तेज तर्रार फील्डिंग के अंदाज से सभी क्रिकेट प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित किया था ! 90 के दशक में जब वायरल नाम का शब्द नहीं हुआ करता था ,
तब उस समय एक प्रश्न बहुत तेजी से वायरल हुआ था, कि “”क्या जोंटी के शरीर में हड्डियां हैं ?”” वजह थी, जोंटी की आक्रामक फील्डिंग , जोंटी की तरफ बाल चाहे हवा में आए या मैदान में पलक झपकते ही जोंटी अपनी फील्डिंग का नमूना पेश कर जाया करते थे!
वास्तविक दुनिया के इतिहास को बदलने या लिखने की क्षमता हर किसी में नहीं होती! जुनूनियत , लगन और पागलपन की हदों को पार करके ही इतिहास को लिखा या बदला जा सकता है , कहते हैं पसीने की स्याही से जो लिखते अपने इरादों को, उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते!
जोंटी रोड्स का जन्म 27 जुलाई 1969 को साउथ अफ्रीका के Pietermaritzburg मे हुआ। जोंटी रोड्स का पूरा नाम Jonathan neil rhoodes है।
उनके पिता का नाम Digby rhoodes और माता का नाम Tish rhoodes है। जोंटी को बचपन से ही खेल का माहौल मिला वजह थी, पिता का रग्बी खिलाड़ी और मां का टेनिस खिलाड़ी होना। बचपन से ही खेल के माहौल में रहने के कारण जोंटी की मानसिक और शारीरिक अवस्था दोनों खेल के लिए पूर्ण समर्पित हो चुकी थी।
युवा अवस्था आते-आते जोंटी क्रिकेट की तरफ खासे आकर्षित हो चुके थे । जोंटी रोड्स जहां भी क्रिकेट खेलने जाते अपने शानदार Throws और Running between wickets के चलते हर जगह से शाबाशी बटोरते!
खास तौर पर घरेलू क्रिकेट में जोंटी ने बैकवर्ड प्वाइंट पर फील्डिंग के चलते बहुत नाम कमाया। जोंटी रोड्स ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में अपना पहला कदम 1992 में होने वाले क्रिकेट वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रखा! उस समय उनके डेब्यू ने भी काफी सुर्खियां बटोरी थी , जहां खिलाड़ियों को उनके अच्छे प्रदर्शन की वजह से टीमों में जगह दी जाती है
वही जोंटी को तेज़ और फुर्तीली फील्डिंग के लिए टीम में रखा गया था! तब उस समय यह भी प्रश्न उठा था कि आखिर एक खिलाड़ी अपनी फील्डिंग के जरिए कब तक टीम में टिक सकता है। इसी विश्व कप में दुनिया ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार जोंटी की करिश्माई फील्डिंग का करिश्मा देखा , ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए मात्र 170 रन ही बनाए थे इस मैच में जोंटी ने अपनी शानदार फील्डिंग दिखाते हुए
Craig mc dermott को रन आउट किया था और उस मैच में दक्षिण अफ्रीका ने 9 विकेट से जीत दर्ज की थी, इसके बाद हर तरफ, जोंटी रोड्स के द्वारा किए गए उस रन आउट की चर्चाएं हुई!
वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में पदार्पण के बावजूद भी जोंटी रोड्स की दिल की हसरत अभी पूरी नहीं हुई थी ! जोंटी को हमेशा से एक टेस्ट प्लेयर ही बनना था, जल्द ही उनकी जिंदगी में वह मुकाम भी आया जब उनकी टेस्ट क्रिकेट खेलने की हसरत भी पूरी हुई ! जोंटी रोड्स का टेस्ट डेब्यु नवंबर 1992 में भारत के खिलाफ हो गया ।
अपने टेस्ट क्रिकेट के सफर में जोंटी रोड्स ने कुल 52 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने 35 की औसत से 2532 रन बनाए जिसमें 3 शतक और 17 अर्धशतक भी शामिल है !
अपने 52 टेस्ट मैचों में शानदार कैच भी लपके।
जैसे-जैसे जोंटी रोड्स का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सफर आगे बढ़ रहा था, वैसे वैसे बैकवर्ड प्वाइंट पर खड़ी जोंटी रोड्स नाम की दीवार और मजबूत होती जा रही थी!
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मई 1999 के वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए जोंटी रोड्स ने Robert croft का लगभग नामुमकिन कैच पकड़ा था जिसकी तस्वीर आज भी क्रिकेट प्रेमियों के जेहन में जस के तस बसी हुई है उस कैच को पकड़ने के दौरान जोंटी ने गुरुत्वाकर्षण के सभी नियमों को झुठला दिया था बताया जाता है जोंटी के उस कैच की तारीफ मैच के बाद खुद रॉबर्ट क्राफ्ट ने भी की थी!
जोंटी रोड्स ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खिलाड़ियों के जेहन में अपना ऐसा खौफ पैदा कर दिया था , कि बाल अगर जोंटी के रेडार में होती तो एक से एक धावक खिलाड़ी भी रन लेने के बारे में सोचते भी नहीं थे।
जोंटी रोड्स के फील्डिंग प्रदर्शन में मील का पत्थर इंजमाम उल हक का रन आउट साबित हुआ! बैकवर्ड प्वाइंट पर खड़े जोंटी के पास इंजमाम के द्वारा खेलें गए shot की बॉल पहुंची ,दूसरे एंड पर इमरान खड़े थे, इमरान ने जैसे ही देखा बाल जोंटी रोड्स के आसपास है ,फौरन ही इमरान ने रन लेने से इनकार कर दिया इससे पहले कि इंजमाम सीमा रेखा के अंदर आ पाते उड़ते हुए जोंटी रोड्स ने तीनों स्टंप बिखेर दिए उनके उड़ते हुए रन आउट की तस्वीर को आज ही बड़े-बड़े फील्डर आदर्श के रूप में देखते हैं!
यूं तो जोंटी रोड्स ने अपने क्रिकेट सफर में कई रिकॉर्ड हासिल किए हैं पर कुछ रिकॉर्ड ऐसे हैं जो उनकी फील्डिंग फुर्ती के प्रतिबिंब बने हुए हैं उनमें पहले नंबर पर शामिल है 1993 में वेस्टइंडीज के खिलाफ लपके गए पांच कैच जिसकी वजह से उन्हें उस मैच में मैन ऑफ द मैच चुना गया,
आपको बता दें कि विकेटकीपर के अलावा एक मैच में पांच कैच लपक ने वाले जोंटी रोड्स इकलौते खिलाड़ी ही है! और दूसरे नंबर पर शामिल है 1998 में टेक्स्को ट्रॉफी में शानदार फील्डिंग के लिए मैन ऑफ द सीरीज चुना जाना!
यदि हम बात करें जोंटी रोड्स के एकदिवसीय मैचों के आंकड़ों की तो उन्होंने 245 मैच खेले जिसमें जोंटी ने 35 की औसत से 5935 रन बनाए जिसमें 2 शतक और 33 अर्धशतक भी सम्मिलित हैं!
साल 2003 में अपने ही सरजमी( दक्षिण अफ्रीका) मे वर्ल्ड कप मैच में मैच में केन्या के खिलाफ खेलते हुए जोंटी का हाथ टूट गया , वर्ल्ड कप ना खेलने के साथ-साथ उनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सफर भी हमेशा के लिए 2003 में थम गया!
मैदान पर जोंटी रोड्स के द्वारा किए गए कारनामों की आज भी क्रिकेट जगत में मिसाले दी जाती है जोंटी ने आधुनिक क्रिकेट में फील्डिंग सिद्धांतों की नई किताब लिख दी थी, जोंटी के द्वारा मैदान पर की गई अद्भुत फील्डिंग से कई खिलाड़ी प्रेरित होकर बेहतरीन फील्डर बने जिसमें भारत के दो लाजवाब फील्डर मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह भी शामिल हैं.
आज भी क्रिकेट जगत में अधिकतर युवाओं के दिल में फीलिंग आदर्श के रूप में जोंटी रोड्स ही बसते हैं!
जोंटी के दिल में भारत के लिए भी बहुत अहम जगह है और हो भी क्यों ना जोंटी के भारत में लाखों करोड़ों चाहने वाले हैं जो जोंटी से बेहद ही प्यार करते हैं भारत के प्रेम के प्रति अपनी उदारता दिखाते हुए जोंटी रोड्स ने अपनी छोटी बेटी का नाम इंडिया रखा है!