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युवराज की पाँच सबसे ख़तरनाक पारियाँ।

दोस्तों विश्व क्रिकेट में ऐसे बहुत कम खिलाड़ी हुए हैं जिन्हें नफरत करने वाले लोगों की संख्या बिल्कुल ना के बराबर होती है और इन ना के बराबर लोगों के पास उन खिलाड़ियों से नफ़रत करने का कोई ठोस कारण मिलने की गुंजाइश भी बहुत कम मिलती है, भारतीय क्रिकेट इतिहास में महेन्द्र सिंह धोनी, सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा, कपिल देव जैसे नाम इस सूची में शामिल होते हैं।

और यह सूची युवराज सिंह को शामिल किए बगैर खत्म नहीं हो सकती है जिन्होंने अपने उन्नीस साल के बेहतरीन करियर में दो बार हमारे देश को विश्व चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।

भारत को छोटे बड़े मैच जीताने से लेकर वर्ल्डकप विजेता बनाने में युवराज सिंह ने बहुत सी यादगार पारियां खेली हैं, उन सभी कमाल की पारियों में से हम आपके लिए कुछ ऐसी इनिंग्स चुनकर लाए हैं जो युवराज सिंह को क्रिकेट के खेल का युवराज बनाती है, एक ऐसा युवराज जिसे देखने वाली हर नज़र इनकी मुरीद बन जाती थी।

84 vs Australia Yuvraj Singh
84 vs Australia:Yuvraj Singh

[1] 84 vs Australia –

7 अक्टूबर साल 2000 का दिन, आईसीसी नोक आउट ट्रोफी को जीतने की रेस में बने रहने के लिए भारत और आस्ट्रेलिया के बीच क्वार्टर फाइनल मुकाबला खेला जा रहा था।

पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने पन्द्रहवें ओवर में सचिन के आउट होने के बाद अगले चार ओवरों में गांगुली और द्रविड़ का विकेट भी खो दिया था।

उन्नीसवें ओवर की चौथी गेंद पर जब राहुल द्रविड़ के आउट होकर पवेलियन लौट रहे थे तब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहली पारी खेलने के लिए बेताब एक नौजवान लड़का नैरोबी क्रिकेट ग्राउंड की तरफ बढ़ रहा था।

चार दिन पहले अपना वनडे डेब्यू करने वाले इस लड़के ने अपनी दुसरी ही गेंद पर शानदार चौका लगाकर एक बेहतरीन आगाज के जरिए उस समय की सबसे खूंखार टीम आस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों को मैदान की हर दिशा में दौड़ाना शुरू कर दिया। 

नब्बे के स्कोर पर तीन विकेट गंवा चुकी भारतीय टीम देखते ही देखते एक भोली भाली शक्ल वाले लड़के के दम पर मैच में वापसी कर रही थी और युवराज सिंह नाम का यह लड़का मैकग्राथ, गिलेस्पी और ब्रेट ली जैसे गेंदबाजों वाली टीम की बख्खिया उधेड़ने में लगा हुआ था।

पहले विनोद कांबली और फिर रोबिन सिंह के साथ भारतीय पारी को ‌आगे बढ़ा रहे युवराज सिंह ने 33 वें ओवर में एक जीवनदान मिलने के बाद 35 वें ओवर में मैकग्राथ की गेंद पर झन्नाटेदार चौके के साथ अपना अर्धशतक पूरा किया, लेकिन बात यहां खत्म होने वाली नहीं थी।

युवराज सिंह ने आगे भी अपने शानदार शोट्स जारी रखें और भारतीय पारी के उन्नीसवे ओवर में मैदान पर उतरे युवराज सिंह 46 ओवर तक डटे रहे और फिर अगले ओवर में ब्रेट ली की गेंद पर आठवें विकेट के रुप में मैदान से बाहर गए।

इस बीच अठारह साल के इस लड़के ने 80 गेंदों पर 84 रनों की जरूरी और अविस्मरणीय पारी खेलकर यह बता दिया था कि एक सीधे सादे लड़के का चैम्पियन बनने का सफर शुरु हो गया है।

युवराज सिंह के करियर को जिस शुरुआत की जरूरत थी वो उन्हें मिल गई थी, बड़े मैचों में बड़ी पारियां खेलने की काबिलियत और खासकर आस्ट्रेलिया को हराने का हुनर भविष्य की कई कहानियां उनकी इस पहली पारी से ही नजर आने लगी थी।

69 vs England netwest final Yuvraj Singh
69 vs England Netwest Final: Yuvraj Singh

 [2] 69 vs England netwest final –

युवराज सिंह का लगभग दो दशक लंबा अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर कई अहम मुकाबलों और पारियों के बगैर अधूरा है लेकिन इस सफर में 13 जुलाई 2002 की तारीख का अपना एक अलग महत्व है जिसका जिक्र किए बिना युवराज सिंह पर लिखा गया कोई आर्टिकल और कही गई कोई बातचीत खत्म नहीं हो सकती।

इस दिन इंग्लिश ‌बल्लेबाज नासिर हुसैन और मार्क्स ट्रेस्कोथिक की शतकीय पारियों की मदद से इंग्लैंड ने नेटवेस्ट ट्रोफी के फाइनल मैच में भारत के सामने 325 रनों का एक ऐसा लक्ष्य रख दिया था जो उस समय की क्रिकेट में नामुमकिन माना जाता था।

ऐसे में सहवाग और गांगुली की शतकीय सलामी साझेदारी ने भारत को राहत की सांस लेने का मौका दिया लेकिन फिर इंग्लैंड की टीम ने शानदार वापसी की, मोंगिया, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर जैसे बल्लेबाज सस्ते में आउट हो गए थे।

22 वें ओवर में मैदान युवराज सिंह मैदान पर उतरे और फिर सचिन के आउट होने के बाद पच्चीसवें ओवर में मोहम्मद कैफ ने उनको ज्वाइन किया, यहां से शानदार शोट्स का वो ऐतिहासिक सिलसिला शुरू हुआ जो अगले 121 रनों तक भारत की उम्मीदों को बांधे रखने वाला था।

युवराज सिंह ने अपने चिर परिचित अंदाज में खेल जारी रखा और देखते ही देखते लोर्डस के मैदान पर इंग्लिश टीम की हार तय होने लगी थी।

38 वें ओवर में फ्लिटोफ की गेंदों पर लगातार तीन चौके लगाकर युवराज सिंह ने अपना अर्धशतक पूरा किया। 42 वें ओवर में युवराज सिंह 69 रनों की बेहतरीन पारी खेलकर आउट हो गए लेकिन एक समय में मैच हार चुकी भारतीय टीम यहां से नतीजा बदल सकती थी और कुछ ऐसा ही हुआ।

मोहम्मद कैफ ने युवराज सिंह के सहयोग के बाद टैलेंडर्स के साथ मिलकर इंग्लैंड को हरा दिया और वानखेड़े का बदला लोर्डस बालकनी में आकर पुरा हो गया और उससे भी ज्यादा खुशी की बात थी कि भारत को अपना युवराज मिल गया था, यहां से युवराज ने एक नई उड़ान के लिए टैकओफ किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

70 Vs Australia T20 WC 2007 Yuvraj Singh
70 Vs Australia T20 WC 2007: Yuvraj Singh

[3] 70 Vs Australia T20 WC 2007 –

युवराज सिंह वनडे क्रिकेट की ही तरह टी 20 क्रिकेट फोर्मेट के भी सरताज थे और इसकी पहली झलक हमें इस नये फोर्मेट के पहले ही आईसीसी टुर्नामेंट में देखने को मिल गई थी।

इस टुर्नामेंट में भारतीय टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक होने का फर्ज निभा रहे युवराज सिंह ने अपने करियर की दो सबसे बेहतरीन पारियां खेली थी जिसमें से एक उन्होंने उस समय की सबसे बड़ी टीम आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली थी।

22 सितम्बर साल 2007 के दिन किंग्समीड के मैदान पर t20 वर्ल्डकप के सेमीफाइनल मैच में पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम के लिए युवराज ने मिचेल जॉनसन और ब्रेट ली जैसे गेंदबाजों के सामने अपनी आतिशबाजियों का वो जौहर दिखाया जिसे देखकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

बीस गेंदों में अर्धशतक पूरा करने वाले युवराज सिंह ने इस मैच में कुल तीस गेंदों का सामना किया और 70 रन बनाए जिसमें पांच चौके और पांच छक्के शामिल थे, अठारहवें ओवर में आउट होने से पहले हमेशा की तरह युवराज ने यहां भी अपना काम पुरा कर दिया था।

भारत आस्ट्रेलिया के सामने एक बड़ा लक्ष्य रखने में कामयाब रही थी, भारतीय टीम यह मैच जीत गई और पहले T20 वर्ल्डकप की दुसरी फाइनलिस्ट बन गई, साथ ही आस्ट्रेलिया आठ सालों में पहली बार किसी वर्ल्डकप टुर्नामेंट के नोक आउट स्टेज में हारकर बाहर हो गई थी।

यह भी पढ़ें:- Lasith Malinga: मैकेनिक का बेटा कैसे बना यॉर्कर किंग।

113 Vs West Indies wc 2011 Yuvraj Singh
113 Vs West Indies wc 2011: Yuvraj Singh
[4] 113 Vs West Indies wc 2011 –

भारत को इस टुर्नामेंट का चैम्पियन बनाने में युवराज सिंह की क्या भूमिका रही थी इसका बखान शब्दों में करना बहुत मुश्किल है जिसकी सबसे बड़ी वजह है कि इस टुर्नामेंट के दौरान यह खिलाड़ी करोड़ों आशाओं का बोझ लिए अंदर ही अंदर एक और जंग लड़ रहा था।

यह जंग हर बीतते मैच के साथ मुश्किल होती जा रही थी और इस मुश्किल जंग का अंदाजा पहली बार दुनिया को वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए मैच के दौरान हुआ था।

सचिन और गंभीर के आउट होने के बाद भारत को एक बड़े स्कोर तक पहुंचाने का जिम्मा उठाए युवराज सिंह चेन्नई की भीषण गर्मी में लगातार मुश्किलों में नजर आ रहे थे। युवराज सिंह ने इस मैच में कोहली के साथ 123 रनों की साझेदारी निभाई और अपना शतक पूरा किया।

उनकी आंखों के सामने लगातार बिखरती जा रही भारतीय टीम के लिए अकेले युवराज सिंह बहुत समय तक एकमात्र उम्मीद बनकर बल्लेबाजी करते रहे लेकिन आउट होने से पहले खुला निमंत्रण होने के बावजूद भी मैदान नहीं छोड़ा।

रवि रामपौल के कहर के बीच युवराज सिंह ने खुद से लड़ते हुए 113 रनों की पारी खेली और भारत को एक अच्छे खासे स्कोर तक पहुंचाया, आगे भारतीय गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत यह मैच जीतकर शान से क्वार्टर फाइनल में पहुंचा और

फिर चैम्पियन भी बना लेकिन उसके बाद सामने आई यह खबर कि वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलते हुए युवराज सिंह सिर्फ डिहाईड्रेशन से ही नहीं बल्कि कैंसर से भी जूझ रहे थे, जिंदगी की इस जंग में चेन्नई की गर्मी के बीच शतक लगाने वाली बात इस पारी को युवराज सिंह की इस टुर्नामेंट में खेली गई बाकि सभी पारियों से बड़ी बनाती है।

yuvraj singh 150 vs england Yuvraj Sigh
yuvraj singh 150 vs england: Yuvraj Sigh
[5] 150 vs England 2017 –

युवराज सिंह के करियर या यूं कहें जिंदगी को करीब से देखने पर पता चलता है कि उनके सामने जितने अधिक मुश्किल सवाल पेश किए गए युवराज सिंह ने उन सवालों का उतनी ही तेजी से और अच्छाई से जवाब भी दिया फिर वो चाहे मुश्किल टीम हो, मैदान हो, सिचुएशन हो या फिर कैंसर ही क्यों ना हो।

एक ऐसा ही मुश्किल सवाल कैंसर से बचने के बाद उस समय भारतीय टीम में वापसी को लेकर भी युवराज सिंह के सामने आया जब श्रीलंका के खिलाफ टी 20 विश्व कप फाइनल में भारत की हार का ठीकरा इस महान बल्लेबाज पर फोड़ दिया गया।

भारत को दो बार विश्व चैंपियन बनाने वाले इस खिलाड़ी को एक बुरे दिन के चलते जब अपनी ही टीम में वापसी पर प्रश्न चिन्ह लगाए बैठी थी तब युवराज सिंह ने अपने करियर का सबसे शानदार प्रदर्शन किया।

जनवरी 2017 में महेंद्र सिंह धोनी के बाद विराट कोहली पहली बार भारतीय टीम की कमान संभाल रहे थे, वनडे सीरीज का दुसरा मैच कटक के मैदान पर खेला गया जिसमें भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करने उतरी लेकिन शुरुआत अच्छी नहीं रही।

विराट कोहली, शिखर धवन और के एल राहुल जल्द ही पवैलियन लौट  गए और अब मैदान पर महेन्द्र सिंह धोनी और युवराज सिंह मौजूद थे, पहले भी कई बार भारत को मुश्किल से निकालने वाली इस जोड़ी पर भारत को एक अच्छी स्थिति में पहुंचाने का जिम्मा था।

दोनों बल्लेबाज और खासकर युवराज सिंह शुरू से ही अपनी लय में नजर आ रहे थे, युवी ने अपने शानदार शोट्स खेलना जारी रखा, इंग्लिश टीम का हर गेंदबाज उस दिन युवराज सिंह के करारे शॉट देखकर हैरान था।

भारतीय पारी के चौथे ओवर में मैदान पर उतरे युवराज सिंह ने बीसवें ओवर में अपना अर्धशतक पूरा किया और फिर तैंतीसवें ओवर में साल 2011 के बाद पहली बार सौ का आंकड़ा पार किया।

युवराज सिंह का करिश्माई खेल आगे भी इस मैच में जारी रहा और उन्होंने 42 वें ओवर में अपने वनडे करियर में पहली बार एक पारी के दौरान तीसरी बार बल्ला हवा में लहराया, अगले ओवर में युवराज सिंह की यह शानदार पारी खत्म हुई जिसमें उन्होंने 127 गेंदों में इक्कीस चौकों और तीन छक्कों की मदद से 150 रन बनाए थे।

सबको लगने लगा था कि शायद उन्हें अपना पुराना युवराज वापस मिल गया है लेकिन दो साल बाद इस चैंपियन ने क्रिकेट की क्रूरता से थककर रिटायरमेंट की घोषणा कर दी।

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