लूडो- जी कि दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है, जिसके जन्म का संबंध भारत से है और इसके कई प्रमाण भी हैं जिन्हें दुनियां झुठला नहीं सकती।
सबसे बड़ा प्रमाण है हमारे पौराणिक महाकाव्य महाभारत वह घटना जिसमें पांडवों ने द्रोपदी को दांव पर लगा दिया था।
न सिर्फ महाभारत बल्कि हिन्दू पौराणिक कथाओ में भी इस खेल का उल्लेख मिल ही जाता है जिनमें श्री कृष्णा और सत्यभामा के अलावा माता पार्वती और शिव जी द्वारा भी इसे खेले जाने की कथायें भी प्रसिद्ध हैं।
लूडो को पहले पच्चीसी, पगड़े, चौपड़, चौसड़, दायकटम, सोकटम और वर्जेस आदि नामो से जाना जाता था।
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एक शोध अनुसार 2000 साल से भी ज्यादा पुराने इस खेल को अकेले मैसूर में ही दस तरीके से खेला जाता है।
चार लोगों द्वारा खेले जाने वाले इस खेल को 19 वी सदी में मैसूर के राजा कृष्णराज वोडीयार तृतीय ने 6 खिलाडियों वाला पच्चीसी बोर्ड बनवाया ताकि वे अपनी सभी रानियों के साथ एक साथ खेल सकें।
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बाद में इस खेल को 8, 12 और 16 खिलाडियों के साथ भी खेला जाने लगा।