कहानी- कच्ची धूप (Kachchi Dhoop) जुड़े हर शख्स की।
दौर कोई भी हो बचपन और उसके ख़्वाब हमेशा एक से होते हैं, भले ही बदलते वक़्त के साथ उसकी चाहतें बदल जाती हों लेकिन उसकी मासूमियत हर दौर में वैसी ही बनी रहती है। 80 के दशक का बचपन जो गुड्डे गुड़ियों के खेल, कॉमिक्स, किताबों और परियों की कहानियों के बीच हँसता खेलता कब जवान हो जाता था पता भी नहीं चलता था।
टेलीविज़न जैसा मनोरंजन का साधन भी तब आम आदमी की पहुँच से बहुत दूर हुआ करता था ऐसे में यह हसीन बचपन दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करता और भी ख़ूबसूरत बन जाया करता था।
आज के दौर में हम उस बचपन को तो दोबारा नहीं लौटा सकते लेकिन उसकी यादों को ज़रूर ज़िंदा कर सकते हैं, दूरदर्शन पर प्रसारित हुये धारावाहिक ‘कच्ची धूप’ के ज़रिये।
धारावाहिक ‘कच्ची धूप’
80 के दशक के अंत में दूरदर्शन पर प्रसारित हुये धारावाहिक ‘कच्ची धूप’ का विषय जितना ख़ूबसूरत था उसकी प्रस्तुति भी उतनी ही ख़ूबसूरत थी।
इस धारावाहिक को देखते हुये आज भी ऐसा लगता है जैसे यह हम सबकी ही कहानी है। जिन्होंने इस दौर को नहीं भी देखा है वह भी इस धारावाहिक के ज़रिये उस दौर को जी सकते हैं।
किसी दिलचस्प कॉमिक्स और दादी-नानी की कहानियों जैसी रोचक इस धारावाहिक की मासूम कहानी बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के दिल के बेहद क़रीब हुआ करती थी।
हालांकि तब सप्ताह में एक बार प्रसारित होने वाले सीमित कड़ियों में प्रसारित होने वाले अना धारावाहिकों की तरह ही वर्ष 1987 में प्रसारित हुए ‘कच्ची धूप’ के भी मात्र 14 एपिसोड ही प्रसारित हुये थे लेकिन महज़ 3 माह में ख़त्म हुए इस धारावाहिक को लोग आज तक नहीं भुल सके हैं।
इस धारावाहिक में तीन बहनों और उनकी माँ की कहानी को बड़ी ही वास्तविकता के साथ दिखाया गया है। निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चों के सपने, उनका तक़लीफ़ों में भी छोटी छोटी ख़ुशियाँ खोज लेना जहाँ एक ओर सुखद एहसास देता था तो वहीं उनकी प्यारी प्यारी बातें, उनकी दिनचर्या, उनकी नोक-झोंक, पल में रूठना और पल में मनाना मन को गुदगुदाने का काम करता था।
एक ओर जहाँ एक अकेली माँ अपनी तीन बेटियों की परवरिश करने के लिये ज़िन्दगी से जद्दो-जहद में व्यस्त रहती है, तो वहीं तीनों बेटियों जिनके स्वभाव, उम्र और ख़यालात अलग-अलग होकर भी एक दूसरे से बँधे रहते हैं, और अपने ख़्वाबों को पूरा करने की चाह के साथ-साथ अपनी माँ की मदद के लिये भी उतनी ही परेशान रहती हैं।
इस कहानी में पड़ोस में रह रहे एक लड़के और उसके रईश दादाजी की भी ख़ास भूमिका है जिनके होने से कोई भी समस्या बड़ी होने से पहले ही उसका समाधान हो जाया करता है।
इस कहानी में जहाँ बचपन और किशोरावस्था का बारीकी से चित्रण किया गया है, वहीं एक युवा होती लड़की के सपनों और उसके जज़्बातों को भी बड़ी भी ख़ूबसूरती से दर्शाया गया है, जो पड़ोस में आने वाले एक नौजवान टीचर से प्यार कर बैठती है, जिसका विरोध उसकी बहन इसलिए करती है ताकि उसकी बहन उससे दूर न जा सके।
महान ऐक्टर व डायरेक्टर अमोल पालेकर जी
राइटर “एमिली ब्रोंटे’ की कहानी ‘थ्री लिटिल वुमन’ से प्रेरित इस विषय को एक धारावाहिक के रूप में रचने का काम किया था महान ऐक्टर व डायरेक्टर अमोल पालेकर जी और राइटर व प्रोड्यूसर चित्रा पालेकर जी ने।
यहाँ हम बता दें कि चित्रा जी अमोल जी की पहली पत्नी थीं जो तब एक दूसरे से अलग नहीं हुए थे। कच्ची धूप का निर्देशन अमोल पालेकर ने किया था तथा इसकी स्टोरी और स्क्रीनप्ले को लिखा था चित्रा पालेकर ने साथ ही चित्रा जी ने ही इसको प्रोड्यूस भी किया था। इस धारावाहिक का निर्देशन करने से पहले जहाँ अमोल पालेकर चितचोर, गोलमाल, भूमिका, घरौंदा और नरम गरम जैसी ढेरों फ़िल्मों में कामकर बतौर ऐक्टर अपनी एक ख़ास पहचान बना चुके थे तो वहीं दूसरी ओर चित्रा पालेकर ने भी बतौर लेखिका हिंदी सिनेमा और टेलीविजन का एक जाना माना नाम बन चुकी थीं।
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राइटर व प्रोड्यूसर चित्रा पालेकर जी
इस धारावाहिक में संवाद के अलावा ढेरों कवितायें और गीत भी शामिल थे जिन्हें लिखा था लेखक कमलेश पांडे जी ने। चूँकि यह धारावाहिक हिंदी में था इसलिए इसके संवाद चित्रा पालेकर ने हिंदी लेखक कमलेश पांडे जी के साथ मिलकर लिखे थे।
गायिका अनुराधा पौडवाल जी
इस धारावाहिक का संगीत दिया था विजय सिंह जी ने जो इस धारावाहिक के ज़रिये पहली बार ऐक्टिंग के क्षेत्र में कदम रखने वाली ऐक्ट्रेस भाग्यश्री जी के पिता हैं।
जी हाँ दोस्तों कम लोगों को ही पता होगा कि ऐक्ट्रेस भाग्यश्री के पिता श्रीमंत राजासाहेब विजयसिंघराव माधवराव पटवर्धन जी महाराष्ट्र के सांगली के राजा होने के साथ-साथ संगीत के बहुत अच्छे जानकार भी हैं। इस शो के टाइटल सांग को आवाज़ दी थी जानी मानी गायिका अनुराधा पौडवाल जी ने और अन्य गीतों को शो के उन किरदारों ने ख़ुद ही गाया था जिन पर उन्हें फ़िल्माया गया था यानि शो के ऐक्टर्स ने ही।
ऐक्ट्रेस भाग्यश्री
तीन बहनों की इस कहानी में ऐक्ट्रेस भाग्यश्री ने सबसे बड़ी बहन अलका के किरदार को निभाया था जो तब एक टीन एजर लड़की थीं और ऐक्टिंग के क्षेत्र में यही उनकी पहली शुरुआत भी थी।
फ़िल्म: मैंने प्यार किया
इस धारावाहिक को देखकर ही भाग्यश्री को उनकी पहली फ़िल्म मैंने प्यार किया ऑफर हुई थी जो इसके ठीक 2 सालों के बाद रिलीज़ हुई थी। दोस्तों इस धारावाहिक से भाग्यश्री के जुड़ने का किस्सा भी बेहद दिलचस्प है। दरअसल भाग्यश्री शुरू से इस धारावाहिक का हिस्सा नहीं थीं, हाँ उनकी सबसे छोटी बहन पूर्णिमा पटवर्धन और उनके पिता विजय सिंह जी ज़रूर इसका हिस्सा थे।
एक इंटरव्यू में भाग्यश्री ने बताया कि शो की शूटिंग के ठीक एक दिन पहले अमोल पालेकर उनके घर आये जो कि उनके पड़ोस में ही रहते थे।
अमोल आकर वहाँ सबको अपनी स्क्रिप्ट सुनाने लगे और स्क्रिप्ट सुनाने के बाद बोले कि “भाग्यश्री इसमें बड़ी बहन का रोल तुम्हें ही करना है।” भाग्यश्री को बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि वह रोल कोई और करने वाला था। पता चला कि जो लड़की उस रोल को करने वाली थी वह अपने ब्वाय फ्रेंड के साथ भाग गयी है और कल से शूटिंग है जिसका सेट भी लग चुका है।
भाग्य श्री बताती हैं कि उन्हें ऐक्टिंग की एबीसीडी भी नहीं पता थी, उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार ही ऐक्टिंग की थी वो भी अपने स्कूल के एक प्ले में एक पेड़ का रोल किया था।
भाग्यश्री ने पहले तो मना कर दिया लेकिन सबके दबाव में और अमोल पालेकर जी की मजबूरी को देखकर तैयार हो गयीं। हालांकि उन्होंने कभी ऐक्टिंग तो नहीं की थी लेकिन जब उन्होंने एक बार हाँ कह दिया तो बहुत ही ख़ूबसूरती से अपने किरदार को निभाया।
इस धारावाहिक में जहाँ उनकी मासूमियत और सादगी को सबने पसंद किया तो वहीं उनकी ऐक्टिंग की भी ख़ूब सराहना हुई और भाग्यश्री हर किसी की चहेती बन गयीं।
वर्ष 1989 में आयी भाग्यश्री की पहली फिल्म ”मैने प्यार किया” में भी उनकी इसी सादगी और मासूमियत को फिर से परदे पर दिखाया गया था जिसे दर्शकों ने ख़ूब पसंद किया था। हालांकि अपनी पहली फिल्म के बाद ही भाग्यश्री ने शादी कर ली और चुनिंदा फिल्मों में ही काम किया।
इस दौरान उन्होंने अपने पति हिमालय दसानी के साथ क़ैद मैं है बुलबुल, त्यागी और पायल जैसी फ़िल्मों में काम किया। इसके अलावा वे ऐक्टर अविनाश बधावन के साथ घर आया मेरा परदेसी नाम की फिल्म में भी नज़र आयीं लेकिन भाग्यश्री की ये फ़िल्में सफल न हो सकीं। उसके बाद उन्होंने कुछ तमिल, कन्नड़, तेलुगु फिल्मों में भी काम किया और एक ब्रेक लेने के बाद वापस टेलीविज़न पर लौटीं और कुछ शोज़ का हिस्सा बनीं।
इस बीच उन्होंने कुछ भोजपुरी, मराठी और बंगाली फ़िल्में भी कीं। बाद में भाग्यश्री डांस रियलिटी शो झलक दिखला जा -3 के अलावा शो लौट आओ तृषा में भी नज़र आयीं। हाल ही में लगभग 29 सालों के बाद भाग्यश्री ने कंगना राणावत की फिल्म थलाइवी से बॉलीवुड फिल्मों में फिर से वापसी कर ली है।
शाल्मली पालेकर
धारावाहिक कच्ची धूप में मँझली बहन नंदू का रोल निभाया था, शाल्मली पालेकर ने जो अमोल पालेकर और चित्रा पालेकर की बेटी हैं। इस धारावाहिक के बाद शाल्मली मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिये बाहर चलीं गयीं और ऐक्टिंग फील्ड से पूरी तरह दूर हो गयीं।
आम जीवन में भी लड़कों जैसे बिंदास हाव भाव वाली अल्हड़ शाल्मली एक बार चर्चा में तब आयीं थीं जब देश में समलैंगिक विवाह को लेकर हुए विवाद के बीच उनकी माँ चित्रा पालेकर ने अचानक यह बताकर सबको चौका दिया था कि शाल्मली भी एक समलैंगिक हैं और अपनी ज़िन्दगी में पूरी तरह से ख़ुश और संतुष्ट हैं।
यहाँ हम याद दिला दें कि शाल्मली के पिता अमोल पालेकर जी समलैंगिक विषय पर दायरा नाम की एक फिल्म भी बना चुके हैं जिसे ढेरों अवाॅर्डस से सम्मानित भी किया गया था।
फिलहाल शाल्मली पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय में बतौर प्रोफेसर कार्यरत हैं और औपनिवेशिक साहित्य पढ़ाती हैं। इसके अलावा शाल्मली एक लेखिका और कवियित्री भी हैं।
इस धारावाहिक में सबसे छोटी बहन मीनू के किरदार में नज़र आयीं थीं पूर्णिमा पथवर्धन। उस दौरान भी और आज के दौर में भी कम लोगों को ही पता होगा कि पूर्णिमा पटवर्धन भाग्यश्री की सगी सबसे छोटी बहन हैं।
अपनी चुलबुली अदाओं से सबका दिल जीत लेने वाली पूर्णिमा ने इस धारावाहिक में अपनी ऐक्टिंग से सभी को चौका दिया था। बेहद ही कम उम्र में उन्होंने गुस्सैल और बातूनी मीनू के किरदार को जिस तरह से निभाया वो एक बच्चे के लिये आसान काम नहीं था।
इस धारावाहिक में पूर्णिमा के काम को इतना पसंद किया गया कि उन्हें बतौर बाल कलाकार उत्पल दत्त, शबाना आज़मी व सुप्रिया पाठक जैसे हिंदी व फ्रेंच ऐक्टर्स को लेकर फ्रेंच भाषा में बन रही फ़िल्म ‘द बेंगाली नाइट्स’ में मौक़ा मिला जो इस धारावाहिक के एक साल बाद वर्ष 1988 में रिलीज़ हुई थी।
बड़े होने पर बतौर लीड रोल वर्ष 2003 में आयी हिंदी और अंग्रेजी भाषा में बनी फ़िल्म ‘ताज महल – अ मोन्यूमेंट ऑफ़ लव’ में पूर्णिमा एक बार फिर नज़र आयीं, इस फ़िल्म में उन्होंने ‘मुमताज़ महल’ का रोल निभाया था। पूर्णिमा मॉडलिंग और सिंगिग भी करती हैं साथ ही वे सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहती हैं।
धारावाहिक कच्ची धूप में पड़ोस के रहने वाले शंकर राम कृष्णन की भूमिका निभाई थी ख़ूद अमोल पालेकर जी ने और उनके पोते शैंकी की भूमिका में नज़र आये थे ऐक्टर प्रशांत भट्ट।
एक मासूम, चुलबुले और इमोशनल लड़के की भूमिका को प्रशांत ने बहुत ही ख़ूबसूरती से निभाया था। कहानी में जब प्रशांत की एंट्री होती है तो एक ताज़गी सी आ जाती है और तीनों बहनों को एक दोस्त मिल जाता है जो उनकी केयर भी करता है और हर समय मदद के लिये तैयार भी रहता है। साथ ही उसे भी अपने अकेलेपन के 3 साथी मिल जाते हैं।
प्रशांत भट्ट ने ढेरों धारावाहिकों में काम किया है जिनमें जाना ना दिल से दूर, क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कसौटी जिंदगी की, किट्टी पार्टी, शगुन आदि टीवी शोज़ प्रमुख हैं।
ऐक्टिंग के अलावा प्रशांत ने असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया है और बाद में प्रोडक्शन से भी जुड़ गये। फिलहाल वे प्रोगामिंग हेड होने के साथ-साथ स्टूडियो बी एंड एम के संस्थापक और क्रिएटिव डायरेक्टर भी हैं, जिसके तहत उन्होंने ‘चैनल वी’ के लिए ‘मस्तांगी’ और ‘एंडटीवी’ के लिए ‘सिद्धि विनायक’ शो को प्रड्यूस किया। इसके अलावा उन्होंने दंगल टीवी, ज़ी पंजाबी और ‘कलर्स टीवी’ के लिये प्रोग्रामिंग का काम भी किया हुआ है।
आशुतोष गोवारिकर
अंत में हम इस धारावाहिक के जिस ऐक्टर की बात करने वाले हैं वो एक मंजे हुये ऐक्टर होने के साथ-साथ आज के दौर के बेहतरीन डायरेक्टर्स में से भी एक हैं और उनका नाम है आशुतोष गोवारिकर, जो इस धारावाहिक में शैंकी के ट्यूटर बने हैं साथ ही अलका यानि भाग्यश्री के प्रेमी भी।
इस धारावाहिक में भाग्यश्री और आशुतोष की बेहद मासूम और रियल सी नज़र आने वाली लव स्टोरी को बड़ी ही ख़ूबसूरती से दिखाया गया है जिसे दोनों ने अपनी नेचुरल ऐक्टिंग से जीवंत कर दिया है।
कच्ची धूप में काम करने से पहले आशुतोष गोवारिकर हरियाणवी और हिंदी फिल्में तो कर चुके थे लेकिन बतौर ऐक्टर टेलीविजन पर वे इसी धारावाहिक से पहली बार नज़र आये थे।
इस धारावाहिक के बाद आशुतोष सर्कस सहित दूरदर्शन व अन्य चैनल्स के ढेरों धारावाहिकों में नज़र आये और बाद में फिल्मों में ऐक्टिंग के साथ साथ राइटिंग और डायरेक्शन के फील्ड से भी जुड़ गये।
बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर कुछ फिल्में करने के बाद उन्होंने पहला नशा और बाज़ी जैसी फ़िल्में लिखीं और डायरेक्ट कीं लेकिन इस क्षेत्र में उन्हें असल पहचान मिली वर्ष 2001 में आयी लगान से उसके बाद वे राइटिंग और डायरेक्शन के साथ-साथ प्रोडक्शन का काम भी देखने लगे और स्वदेश, जोधा अकबर, व्हाट्स योर राशि, खेले हम जी जान से, मोहन जोदाड़ो, एवरेस्ट और पानीपत जैसी फ़िल्मों का लेखन, निर्माण व निर्देशन किया।
इस धारावाहिक में इन मुख्य कलाकारों के अलावा प्रतीक्षा झावेरी, विशाल रंजाणे और भारती आचरेकर भी विशेष भूमिका में नज़र आये थे। दोस्तों ख़ुशी की बात ये है कि कच्ची धूप धारावाहिक को यूट्यूब पर आप जब चाहे देख सकते हैं।
यू ट्यूब पर देखें –
https://www.youtube.com/c/naaradtv