फ़िल्म ‘जर्सी’
साल 2019 में क्रिकेट पर आधारित सुपरस्टार नानी की सुपरहिट फ़िल्म ‘जर्सी’ आयी थी। उस फ़िल्म के क्लाइमेक्स में नानी की बैटिंग के दम पर उनकी टीम 568 रन का नामुमकिन-सा लक्ष्य प्राप्त कर लेती है।
पिक्चर पूरी होने के बाद क्रिकेट को नज़दीक से देखने वालों ने इस तरह की कहानी को काल्पनिक कहकर मज़ाक उड़ाया। लेकिन, हम आप से कहें कि ऐसा असल मे भी हो चुका है और ये कारनामा एक भारतीय ने किया था। तो, क्या आप यक़ीन मानेंगे ? अगर, नहीं तो चलिये आज से 11 साल पहले खेले गये दलीप ट्रॉफी फाइनल में आपको हैदराबाद लेकर चलते हैं।
साउथ ज़ोन ने पहली पारी में दिनेश कार्तिक के 183 रनों के चलते 400 रन बनाये। जबकि, वेस्ट ज़ोन सिर्फ़ 251 रन बना पाई। जिसमें भी 12 चौक्कों और 5 छक्कों की मदद से 108 रन सिर्फ़ एक खिलाड़ी ने बनाये थे।
साउथ ज़ोन ने दूसरी पारी में भी कार्तिक के शतक की बदौलत 386 रन बनाये। 536 रनों के लक्ष्य सामने वेस्ट ज़ोन का स्कोर 294 रन पर 5 विकेट था।
मैच में महज़ औपचारिकता बची थी। यहीं बल्लेबाज़ी करने आया वो बल्लेबाज़ जिसने पहली पारी में 108 रन बनाए थे। उस दाये हाथ के लम्बे चौड़े बल्लेबाज़ ने एक करिश्माई अंदाज़ में 190 गेंदों में 19 चौके और 10 छक्कों के साथ नाबाद 210 रन बनाये। इस पारी ने साउथ ज़ोन के गेंदबाज़ों को सोचने भर का मौका भी नहीं दिया और वेस्ट ज़ोन ने 3 विकेट से मैच जीत लिया।
अब तक तो आप समझ गए होंगे कि जिसने इस काल्पनिक कहानी को सच किया । उस खिलाड़ी का नाम है यूसुफ़ पठान। वो यूसुफ़ पठान जिनके लिए छक्के मारना बायें हाथ का खेल है।
वो यूसुफ़ पठान जिनके मैदान पर होते हुए कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं लगता है। तो चलिये, अनसंग ‘हीरोज़ ऑफ़ इंडियन क्रिकेट’ में आज उन्हीं यूसुफ पठान की ज़िंदगी के अनछुये लम्हों पर रोशनी डालते हैं।
यूसुफ़ पठान का शुरुआती जीवन-
यूसुफ़ पठान का जन्म 1982 को गुजरात के वड़ोदरा शहर में हुआ। पिता महमूद खान जामा मस्जिद के मुअज़्ज़िन यानी देख रेख करने वाले थे। इसके अलावा वो साराभाई केमिकल फैक्ट्री में 7 घंटों की शिफ़्ट भी किया करते थे। दिन में क़रीब 15 घंटे की मेहनत के बाद भी जो पैसा जेब मे आता था। उससे केवल यूसुफ़, इरफ़ान और इनकी बहन शगुफ़्ता पठान चैन से खाना खाकर सो ही सकते थे।
इसलिए उनके पिता चाहते थे कि वो इस्लामिक स्कॉलर बनें। लेकिन, इस ग़रीबी में भी दोनों भाइयों यूसुफ़ और इरफ़ान को क्रिकेट का चस्का लग गया था। मस्जिद में मोज़े की बॉल से क्रिकेट खेलने का जो सिलसिला शुरू हुआ था। वो मोहल्ले भर की शिकायतों के बाद भी नहीं रुका।
यूसुफ़ के लम्बे छक्कों का सफ़र वड़ोदरा की गलियों से होता हुआ उन्हें पूर्व भारतीय क्रिकेटर दत्ता गायकवाड़ की कोचिंग तक ले आया। कोच गायकवाड़ की निगरानी में अपने खेल को सुधारते हुए यूसुफ़ पठान साल 2001-02 के रणजी सत्र में बड़ोदरा टीम का हिस्सा बन गए। इसके बाद यूसुफ़ कई सालों तक घरेलू क्रिकेट में मेहनत करते रहे। लेकिन, सफ़लता हाथ नहीं लगी। इधर उनके छोटे भाई इरफ़ान पठान ने अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में हंगामा मचा रखा था। फिर, आयी साल 2007 की देवधर ट्रॉफी।
यूसफ़ पठान ने घरेलू टी-20 क्रिकेट में धमाका मचाते हुए सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इस प्रदर्शन के चलते साल 2007 में साउथ अफ़्रीका जाने वाली भारतीय टीम में यूसुफ़ पठान ने जगह बना ली। हालाँकि, उस विश्व कप में दिनेश कार्तिक और रोहित शर्मा को यूसुफ़ पठान से ऊपर मौका दिया गया। लेकिन, किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था।
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विश्व कप खेलने का मौका-
पूरे विश्व कप में एक भी मैच ना खेलने वाले यूसुफ़ पठान को पाकिस्तान के विरुद्ध फाइनल मैच में सहवाग की चोट के कारण मौका मिला। उस दिन को याद करते हुए इरफ़ान पठान ने बताया- “भाई को पता नहीं था कि वो मैच खेलेगा। उसने 5 घंटे जिम की। जब मैच का वक़्त आया तो उसके पाँव नहीं चल रहे थे।
मैंने स्ट्रेचिंग करवाई और मैच खेलने के लिए तैयार किया।” अंत मे यूसुफ़ गंभीर के साथ ओपनिंग पर उतरे। यूसुफ़ ने 8 गेंदों में सिर्फ़ 15 रन बनाये। लेकिन, उनके बेख़ौफ़ अंदाज़ ने उस दौर के सर्वश्रेष्ठ पाकिस्तानी गेंदबाज़ मुहम्मद आसिफ़ की लय बिगाड़ दी। उसके बाद जो हुआ वो इतिहास है। भारत टी-20 विश्व कप 2007 जीत गया। यूसुफ़ की माँ शमीम बानो की दुआ एक ख़्वाब की तरह पूरी हुई। उनके दोनों बेटे भारत को टी-20 विश्व कप जिताने वाली टीम में थे।
यूसफ़ पठान का वनडे कैरियर में शुरुआत –
टी-20 विश्व कप के बाद यूसुफ़ ने साल 2008 में ढाका के मैदान पर पाकिस्तान के विरुद्ध ही अपने वनडे कैरियर की शुरुआत की। मगर, यूसुफ़ पठान कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं कर पाये। मगर, यूसुफ़ से भारतीय चयनकर्ताओं समेत प्रशंसकों को भी बहुत उम्मीदें थीं। इधर , यूसुफ़ को मानो आईपीएल का ही इंतेज़ार था।
यूसुफ़ पठान ने आईपीएल फाइनल में 39 गेंदों में 56 रन बनाये। साथ ही पूरे आईपीएल में 435 रन बनाये और 8 विकेट भी प्राप्त किये। यूसुफ़ ने अपने शानदार खेल के दम पर राजस्थान रॉयल को प्रथम आईपीएल विजेता बना दिया।
अब यूसुफ़ की प्रतिभा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा था। यूसुफ़ धीरे-धीरे भारतीय टीम में अपनी जगह निर्धारित कर रहे थे। इसी बीच आया 10 फ़रवरी 2009 का श्रीलंका के विरुद्ध वो यादगार मैच जिसका ज़िक्र यहां ज़रूरी है। दरअसल उस मैच में 172 रनों के लक्ष्य के सामने भारतीय टीम का स्को र 115 रन पर 7 विकेट था। यहाँ ये यूसुफ़ और इरफ़ान दोनों ने मिलकर 25 गेंदों में 59 रन बनाकर एक करिश्माई जीत दिलाई ।
इस पारी से जुड़ी एक ख़ास बात ये भी थी कि ठीक उसी दिन हसी बंधुओं ने भी न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया को एक मुश्किल मैच जीतने में अहम योगदान दिया था। यानी एक ही दिन मे दो भाईयों की जोड़ियों ने कमाल कर दिया।
गुज़रते वक़्त के साथ यूसुफ़ की बल्लेबाज़ी घातक होती जा रही थी। यूसुफ़ ने 2010 में तो यादगार प्रदर्शनों की झड़ी लगा दी थी। पहले दलीप ट्रॉफी के वो 210 रन जिनका ज़िक्र हमने वीडियो की शुरुआत में किया था। फिर, मुम्बई इंडियंस के ख़िलाफ़ लगाया शतक।
जोकि, अभी तक आईपीएल में किसी भारतीय द्वारा लगाया गया सबसे तेज़ शतक है। उसके बाद साल के अंत मे न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध बैंगलोर में खेली गई 123 रनों की पारी। जिसकी बदौलत भारत ने 5-0 से श्रृंखला जीती थी। लेकिन, अभी यूसुफ़ के बल्ले से उनके अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की सर्वश्रेष्ठ पारी निकलना बाक़ी थी। जो आयी 23 जनवरी 2011 को सेंचूरियन में साउथ अफ्रीका के विरुद्ध।
साउथ अफ्रीका में पहली बार वनडे श्रृंखला जीत के लिये भारत को 268 रन बनाने थे। जवाब में भारतीय टीम के 8 विकेट सिर्फ़ 119 रन पर गिर गए थे। लेकिन, यहाँ से यूसुफ़ बल्ले को गदे की तरह थामकर खड़े हो गए और मात्र 70 गेंदों में 8 झन्नाटेदार छक्कों की मदद से 105 रन बनाये। मगर, वो लक्ष्य से 49 रन पहले आउट हो गए और भारत मैच हार गया। लेकिन, यूसुफ़ ने लाखों दिल जीत लिये थे। उस पारी को याद करते हुए साउथ अफ़्रीकी कप्तान ग्रीम स्मिथ ने कहा था- “वो एक बॉक्सर की तरह बल्लेबाज़ी करता है”।
आल राउंडर 2011 विश्व कप टीम में शामिल-
इस कथन को आगे बढ़ाते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था “यूसुफ़ जब गेंद को मारता है। तो, लगता है कि गेंद फट जाएगी।” यूसुफ़ पठान की ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी और राइट आर्म ऑफ़ स्पिन के दम पर, उन्हें बतौर आल राउंडर 2011 विश्व कप टीम में शामिल किया गया।
यूसुफ़ 2011 विश्व कप में एक मैच को छोड़कर अन्य किसी मैच में कमाल नहीं कर पाये। जिसका ज़िक्र हमने ‘रिवाइंड वर्ल्ड कप 2011’ सिरीज़ में भी किया है। मगर, भारत विश्व कप जीत गया। युसुफ़ के नाम एक और विश्व कप जीत हो गयी। जिसमे यूसुफ़ भी शामिल थे। इधर, विश्व कप भारत की जीत के साथ ख़त्म हुआ। उधर, यूसुफ़ पठान की खराब फॉर्म शुरू हुई।
विश्व कप के बाद यूसुफ़ ने केवल 3 टी-20 और 6 वनडे मैच खेले। यानी कुल 9 अंतर्राष्ट्रीय मैचों 10.11 की ख़राब औसत से 67 रन बनाये। लेकिन, एक पहलू ये भी है कि उन्होंने केवल 6 पारियों में ही बल्लेबाज़ी भी की और जब बल्लेबाज़ी आयी तो आक्रामक खेलना ज़रूरी था। मगर, 2012 के बाद भारतीय चयनकर्ताओं ने यूसुफ़ पठान को फिर कभी याद नहीं किया। लेकिन, आईपीएल में किये गए यूसुफ़ के प्रदर्शन ने ये बता दिया कि उनमें काफ़ी क्रिकेट बची थी।
यूसुफ़ पठान का आईपीएल में प्रदर्शन-
यूसुफ़ ने आईपीएल में दो बार कोलकाता नाईट राइडर्स को ख़िताब जीतने में अहम भूमिका निभाई। हालाँकि, यूसुफ़ पठान कोलकाता की ओर से खेलते हुए वो निरंतरता नहीं दिखा पाये। जो उन्होंने राजस्थान की ओर से खेलते हुए दिखायी थी। जिसके कारण 2018 आईपीएल के लिए सनराइज़र्स हैदराबाद ने पठान को अपने साथ जोड़ा। मगर, पठान की ख़राब फ़ॉर्म जारी रही और हैदराबाद ने 2020 ऑक्शन में उनसे आगे सोचा। लेकिन, एक समय पर आईपीएल के स्टार रहे यूसुफ़ पठान को फिर किसी आईपीएल टीम ने एहमियत नहीं दी।
अंत में ख़ुद को आराम देने के लिए यूसुफ़ पठान ने 26 फ़रवरी 2021 को अपने अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर पर रिटायरमेंट का पर्दा गिरा दिया। हालाँकि, यूसुफ़ ने साफ़ कहा है कि वो विदेशी लीगों में खेलना जारी रखेंगे।
यूसुफ़ पठान का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर-
यूसुफ़ पठान ने अपने 5 साल लम्बे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर में 57 वनडे और 22 टी-20 मैच खेले। जिसमें क्रमशः 810 और 236 रन बनाये। युसफ़ पठान ने वनडे क्रिकेट में 2 शतक और 3 अर्धशतक भी लगाये हैं।
जबकि, आईपीएल के बेताज बादशाह कहे जाने वाले युसफ़ ने आईपीएल के 174 मुक़ाबलों की 154 पारियों में 142.97 के आश्चर्यजनक स्ट्राइक रेट से 3204 रन बनाये और साथ ही 42 विकेट भी प्राप्त किये।
यूसुफ़ पठान का ब्यक्तिगत जीवन –
संन्यास के बाद युसफ़ पत्नी आफ़रीन और बेटे अयान के साथ वक़्त गुज़ारना चाहते हैं। साथ ही यूसुफ़ और इरफ़ान पठान ने मिलकर पठान क्रिकेट अकैडमी लांच की है। जिसमें वो आने वाली पीढ़ी को क्रिकेट की बारीकियाँ सिखायेंगे।
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