भारत और पाकिस्तान का मैच क्रिकेट के खेल में हमेशा से ही रोमांच अपने साथ लेकर आता है, विश्व क्रिकेट में इस मैच के मायने एशेज जैसे कट थ्रोट कम्पीटीशन से भी बढ़कर है।
लेकिन जरा सोचिए इस मैच में जब सीमा विवाद या युद्ध का एंगल भी जुड़ जाए बात किस हद तक पहुंच सकती है और उसमें भी जब क्रिकेट मैच साधारण ना होकर वर्ल्डकप जैसे बड़े मंच पर खेला जा रहा हो तो बेचैनी, खुशी, उत्साह, आशाएं और दुआओं का आलम कैसा होगा कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता है।
लेकिन ऐसा इतिहास के पन्नों में एक बार हो चुका है, जब करोड़ों आंखें क्रिकेट के मैदान और सरहद से आने वाले निर्णयों पर टकटकी लगाए बैठी थी।
8 जून साल 1999 भारत और पाकिस्तानी का ऐतिहासिक मैच-
8 जून साल 1999 भारत से हजारों किलोमीटर दूर इंग्लैंड के मैनचेस्टर की सर्द दोपहर में करीब तीन बजे नीले और हरे रंग ओढ़े भारतीय कप्तान अजहरुद्दीन और पाकिस्तानी कप्तान वसीम अकरम मैदान पर टोस के लिए पहुंचे, भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया।
साल 1983 के बाद वर्ल्डकप का कारवां एक बार फिर इंग्लैंड पहुंचा था और भारत पाकिस्तान का तीसरा वर्ल्डकप एनकाउंटर देखने के लिए तैयार था।
भारत अपने पिछले दो वर्ल्डकप मुकाबले चेन्नई के मैदान पर और scg में पाकिस्तान से जीत चुका था अब बारी हैट्रिक लेकर इस सिलसिले को बरकरार रखने की थी।
आम वर्ल्डकप इंवेट से यह वर्ल्डकप अलग-
आम वर्ल्डकप इंवेट से यह वर्ल्डकप अलग था क्योंकि इस बार वर्ल्डकप तीन साल के गैप के बाद खेला जा रहा था, वर्ल्डकप के साथ साथ यह मैच भी क्रिकेट के बाकि मैचों से बिल्कुल जुदा था क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा था जब दो देशों की सेनाओं के बीच युद्ध चल रहा हो और
उसी दौरान वही दो देशों के खिलाड़ी मैदान पर वर्ल्डकप मैच के लिए उतरे हो, भारत और पाकिस्तान के किसी भी व्यक्ति के लिए यह मैच सिर्फ मनोरंजन के लिए देखना मुमकिन नहीं था।
कारगिल के मैदान पर भारत और पाकिस्तान की सेनाएं मोर्चा संभाल रही थी और इंग्लैंड में बाईस सिपाही अपने मोर्चे पर डट रहे थे।
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लोग इस ऐतिहासिक मैच को देखने के लिए बेकरार-
मैनचेस्टर के मैदान के बाहर सुबह से लोगों का हुजूम खड़ा हुआ था, लोग इस ऐतिहासिक मैच को देखने के लिए बेकरार थे जिसमें से ज्यादातर लोग पाकिस्तान को सुपोर्ट कर रहे थे।
मैच से पहले जब यह खबर आई कि शानदार फोर्म में चल रहे सौरव गांगुली यह मैच चोट के चलते नहीं खेल रहे हैं तो पाकिस्तानी मिडिया में यह हैडलाइन चलाई गई कि सौरव गांगुली ने अख्तर अकरम की स्पीड से डरकर अपना नाम वापस ले लिया है।
मैच शुरू हुआ और भारत की तरफ से सचिन तेंदुलकर और सदगोपन रमेश की जोड़ी मैदान पर उतरी जहां 21000 लोग मौजूद थे।
कारगिल और वर्ल्डकप दोनों हमारे है-
इन लोगों में दो व्यक्ति ऐसे भी थे जिन्हें पुलिस को मैदान से बाहर निकालना पड़ा क्योंकि इन पाकिस्तानी सुपोर्टर्स के पास बोर्ड था जिस पर लिखा हुआ था कि कारगिल और वर्ल्डकप दोनों हमारे है।
खैर ऐसी तमाम तरह की घटनाओं के बीच मैच चल रहा था, पहले ओवर में सचिन ने दो रन देकर अपना नाम वर्ल्डकप टुर्नामेंटस में 1000 रन बनाने वाले तीसरे खिलाड़ी के रूप में लिखवा लिया था।
सचिन तेंदुलकर का नाम उस समय तक क्रिकेट के खेल में जीत और हार के बीच का अंतर बन गया था, उनको जल्दी आउट करने का मतलब विरोधी टीम को आधी जीत मिलने की गारंटी बन गया था।
खैर दोनों बल्लेबाज अपने शानदार शोट्स के साथ खेल को आगे बढ़ा रहे थे, पुरा भारत अपने घरों में कैद टेलीविजन और रेडियो के पास बैठा हुआ था।
12 वें ओवर की दुसरी गेंद पर 37 के स्कोर पर भारतीय टीम ने सदगोपन रमेश के रूप में अपना पहला विकेट खो दिया जो बीस रन बनाकर अब्दुल रज्जाक के शिकार बने थे।
इसके बाद मैदान पर उतरे राहुल द्रविड़ जो इस टुर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में शामिल थे।
सचिन तेंदुलकर का महत्वपूर्ण विकेट-
सचिन तेंदुलकर इस मैच में अपने टच में नजर आ रहे थे लेकिन भारत और पाकिस्तान के करोड़ों लोगों की तरह बैचेनी उनके मुंह पर भी साफ नजर आ रही थी।
सचिन अपनी नियमित रफ्तार से रन नहीं बना पा रहे थे और इक्कीस वे ओवर में उनकी इस बैचेनी का फायदा अजहर महमूद को मिला जिन्होंने सक्लेन मुश्ताक के हाथों सचिन को 45 के स्कोर पर आउट कर पाकिस्तान को चैन की सांस लेने का मौका दिया।
सचिन ने अपनी इस पारी के दौरान 65 गेंदे खेली थी जिनमें पांच चौके शामिल थे और उस दौर में सचिन का खौफ किस कदर विरोधी टीम सहित विरोधी देश पर हावी था
इसका उदाहरण इस मैच में तब देखने को मिला जब पाकिस्तानी संसद में युद्ध के माहौल पर चल रही बातचीत के बीच पाकिस्तान के सुचना मंत्री ने कार्रवाई के बीच में सचिन के आउट होने की खबर संसद में सुनाई थी
और इस बात को सुनकर पुरी संसद में हर किसी के चेहरे पर मुस्कान थी और पुरा भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था।
भारतीय टीम की तरफ से लगातार अच्छी साझेदारियां हो रही थी लेकिन रन उस स्पीड से नहीं आ रहे थे जिस रफ्तार से आने चाहिए थे।
अजय जडेजा और कप्तान अजहरुद्दीन-
सचिन के बाद मैदान पर उतरे अजय जडेजा चौदह गेंदों में सिर्फ छः रन बनाकर आउट हो गए थे और इसके बाद मैदान पर उतरे कप्तान अजहरुद्दीन ने पन्द्रहवी गेंद पर अपना पहला रन बनाया था।
मैच से पहले कोमेंटेटरस और क्रिकेट प्रशंसक पाकिस्तान के जिस बेहतरीन पेस अटैक की बात कर रहे थे उनका असर साफ दिखाई दे रहा था, अकरम और अख्तर अपनी लय में गेंदबाजी कर रहे थे।
राहुल द्रविड़ का अर्धशतक-
राहुल द्रविड़ ने जब पैंतीस वे ओवर में अपना अर्धशतक पूरा किया तब अजहरुद्दीन 28 गेंदों में 10 रन बनाकर खेल रहे थे।
कप्तान अजहरुद्दीन का अर्धशतक-
खैर आगे चलकर अजहरुद्दीन ने भी अपना अर्धशतक पूरा किया और भारतीय टीम छः विकेट खोकर सिर्फ 227 रन ही बना पाई थी, राहुल द्रविड़ ने 61 और अजहरुद्दीन ने 59 रनों का योगदान दिया था।
अगली पारी में किस तरह भारतीय गेंदबाजों ने पाकिस्तान को सर उठाने का मौका नहीं दिया जानेंगे इसी पोस्ट में लेकिन उससे पहले एक बार मैं फिर लेकर आया हूँ आपके फायदे की जानकारी।
अब बारी भारतीय गेंदबाजों की थी, भारतीय टीम को अपनी हैट्रिक पुरी करने के लिए एक चमत्कारिक प्रदर्शन की जरूरत थी और कुछ ऐसा ही उस दिन मैनचेस्टर के मैदान पर हुआ जब वेंकेटेश प्रसाद, जवागल श्रीनाथ और कुंबले की कर्नाटक सेना ने अपने करियर का बेस्ट डिलीवर किया था।
पाकिस्तान की सलामी जोड़ी मैदान पर उतरी और स्टैंड्स हरी पट्टियों से रंगीन दिखाई दे रहे थे, शाम करीब सात बजे मैच की दूसरी पारी शुरू हुई।
सईद अनवर-
सईद अनवर ने पहली ही गेंद पर चौका लगाकर पाकिस्तान को एक शानदार शुरुआत दी, अगले ओवर में दो चौके और आए लेकिन इसके बाद भारतीय गेंदबाजों ने पाकिस्तान को सिर उठाने का मौका नहीं दिया।
शाहिद अफरीदी-
पहले शाहिद अफरीदी छः और फिर 44 के स्कोर पर इजाज अहमद 11 रन बनाकर श्रीनाथ के शिकार बने।
इसके बाद ग्यारहवां और बारहवां ओवर लगातार देबाशीश मोहंती और श्रीनाथ ने मेडन डालकर पाकिस्तानी खेमें में सनसनी फ़ैला दी थी।
इसका असर भी जल्द ही देखने को मिला जब वेंकेटेश प्रसाद ने छः के स्कोर पर सलीम मलिक को आउट कर पाकिस्तान को बड़ा झटका दे दिया था।
सोलहवां ओवर एक बार फिर मेडन गया और अठारहवें ओवर में शानदार प्रदर्शन कर रहे सईद अनवर 36 रन बनाकर आउट हो गए।
हर ओवर में सिर्फ दो तीन रन ही आ रहे थे और पच्चीसवें ओवर में जब पाकिस्तान का विकेट गिरा तो आलम ये था कि पुरी टीम का स्कोर 79 रनों पर पांच विकेट दिखा रहा था।
30 वें ओवर में पाकिस्तानी टीम ने सौ का आंकड़ा पार किया और फिर अगले ओवर में कुछ ऐसा हुआ जो शायद क्रिकेट के खेल में पहली बार हो रहा था।
महान अम्पायर डेविड शैफर्ड-
क्रिकेट इतिहास के सबसे महान अम्पायर डेविड शैफर्ड भी खुद को इस मैच के माहौल से अलग नहीं रख पाये और बेचेनी में अनिल कुंबले से 31 वें ओवर में सात गेंदें डलवा दी थी।
पाकिस्तान इस अतिरिक्त गेंद का फायदा नहीं उठा पाई और फिर 46 ओवरों में सिर्फ 180 रनों पर सिमट गई थी।
वेंकटेश प्रसाद और जवागल श्रीनाथ-
वेंकटेश प्रसाद ने पांच और श्रीनाथ ने तीन विकेट अपने नाम किए थे तो वहीं कुंबले को दो विकेट मिले थे।
इंजमाम उल हक-
इस मैच में भारतीय गेंदबाजों ने किस तरह की गेंदबाजी की ये आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि इस मैच में पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा स्कोर 41 रन था जो इंजमाम उल हक ने बनाया था और उनको इस स्कोर तक पहुंचने में 93 गेंदों का सामना करना पड़ा था।
भारत यह मैच 47 रनों से जीत गया था और इस जीत का जश्न सच में किसी विश्व कप जीत जैसा ही था, हालांकि भारत इस टुर्नामेंट से न्यूजीलैंड से खेलने के बाद बाहर हो गया था लेकिन उससे पहले इस मैच की जीत ने पुरे भारत को खुशी की एक बड़ी वजह दे दी थी।
कारगिल युद्ध में जूझ रही भारतीय सेना-
इस मैच से जुड़े सबसे अच्छे दृश्य अगले दिन अखबारों में देखने को मिले जिसमें लिखा हुआ था कि इस जीत का जश्न कारगिल युद्ध में जूझ रही भारतीय सेना ने भी मनाया था और ये जश्न उनके लिए एक त्यौहार की तरह था।
कुछ दिनों बाद उस भारतीय सेना ने भी देश को खुश होने का मौका दिया जो एक बड़ी जीत के साथ हमें मिला था जिस पर आज भी हम गर्व करते हैं।
पाकिस्तान इस टुर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा लेकिन वहां आस्ट्रेलिया से हार गया और इस तरह विश्व क्रिकेट को अपना नया चैम्पियन मिल गया।
रवीना टंडन-
भारत पाकिस्तान के इस मैच के तीन साल बाद स्टम्पंड नाम से एक फिल्म भारत में रीलीज हुई थी जिसे रवीना टंडन ने प्रोड्यूस किया था और वो इसमें मुख्य भूमिका भी निभा रही थी।
इस फिल्म की कहानी फिल्म कारगिल युद्ध और इस टुर्नामेंट पर आधारित थी, साथ ही इस फिल्म के आखिर में युवराज सिंह, कपिल देव, जहीर खान और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ियों ने कैमियो भी किया था।
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