महेन्द्र सिंह धोनी, ये महज़ एक इंसान का नाम नहीं , एक युग की परिभाषा है। ये नाम दो पीढ़ियों को जोड़ने वाली डोर है।ये नाम भारत की धरोहर है । 90’s किड के कानों में धोनी नाम पड़ते ही। गठीले बदन वाले, जोशीले गबरू-जवान की तस्वीर ज़हन में उतर आती है। तो, दूसरी तरफ़ 21वीं सदी के क्रिकेट प्रेमियों के लिए वो बर्फ़ से ज़्यादा ठंडा और शेर से अधिक धैर्यवान है।
धोनी ने भारतीय क्रिकेट टीम को विश्व कप से लेकर टेस्ट में नंबर 1 रैंकिंग हासिल करने में धुरी का काम किया। धोनी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आंकड़ों के आसमान पर राजा की तरह विराजमान हैं। तो,हर एक भारतीय के दिल में थला बनकर काबिज़ हैं। धोनी की ज़िन्दगी में 7 अंक का अपना ही महत्त्व है।
जन्म दिन 7वें महीने की 7 तारीख़ को आता है, जन्म तिथि (07/07/1981) को जोड़ने पर योग भी 7 ही आएगा, अपने कैरियर में ज़्यादा वक़्त 7 नंबर पर बल्लेबाज़ी करते हुए गुज़ारा और-तो-और धोनी का जर्सी नम्बर भी 7 है। धोनी और 7 के इसी रिश्ते को बरक़रार रखते हुए। नारद टी. वी. आपके लिये लाया है धोनी के रनों भरे समुन्दर में से 7 नायाब मोती। यानी वन-डे एवं टेस्ट में खेली गई वो 7 बेहतरीन और यादगार पारियाँ। जिनके निशान भारतीय क्रिकेट के पर्वत पर सदा के लिये छप गयें हैं ।
#7:- जब घायल धोनी ने अकेले दम पर मैच जिताया ।
45* (52) बनाम श्रीलंका, मैदान-पोर्ट ऑफ़ स्पेन, साल-2013:-
2013 चैम्पियंस ट्रॉफी जीत के बाद भारत एकदिवसीय त्रिकोणीय सीरीज खेलने वेस्टइंडीज गया । यह वह श्रंखला थी जिसने विराट कोहली को एक कप्तान के रूप में पहचान दिलाई ।फाइनल में श्रीलंका टीम के 201 रन के जवाब में एक समय भारत का स्कोर 182 रन पर 9 विकेट था । क्रीज़ पर चोट से लौटे धोनी और इशांत शर्मा मौजूद थे ।
इस पारी के दौरान धोनी तकलीफ़ में थे।एक मौके पर धोनी रन लेते हुए विकेटों की सीध में भाग रहे थे।जयवर्धने का थ्रो उनसे टकराया और ‘ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड’ की अपील हुई।जोकि, अंपायर ने नकार दी। परिणाम स्वरूप मैच अंतिम ओवर में गया। जीत के लिए आखरी 6 गेंदों में 15 रनों की दरकार थी। सामान्यतः ऐसी परिस्थितियों में बल्लेबाज़ दबाव में होता है।
लेकिन, धोनी के हाथ में बल्ला हो तो गेंद के ठिकाने पर पड़ने के आसार कम ही रहते हैं। इरंगा की पहली गेंद मिस होने के बाद,धोनी ने अगली दो गेंदों में 10 रन बनाये और चौथी गेंद पर डीप एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से विजयी छक्का लगाकर सेलकॉन कप भारत की झोली में डाल दिया।
#6:- जब जीत और इंग्लैंड के बीच में धोनी खड़े हो गये।
76* (159) बनाम इंग्लैंड,मैदान-लॉर्ड्स ,साल -2007:-
2007 में खेली गई ये पारी धोनी ने अपनी स्ट्रोक प्लेयर इमेज के विपरीत खेली थी। इस पारी से पहले धोनी के टेस्ट प्लेयर होने पर सवालिया निशान थे।दौरे के पहले मैच के अन्तिम दिन का खेल चल रहा था।380 रनों के विशालकाय लक्ष्य के सामने भारत का स्कोर 5 विकेट पर 145 रन था। इंग्लैंड जीत से बस 5 विकेट दूर था।
उस वक़्त मैदान में मौजूद हर व्यक्ति के मन में सवाल था, ‘मैच लंच से पहले समाप्त होगा या नहीं ? फिर, लक्ष्मण का साथ निभाने आये धोनी।जिन के सामने स्विंग और रफ्तार के साथ-साथ 80 ओवर टिकने की चुनौती थी।धोनी ने 20 ओवर लक्ष्मण के साथ सातवें विकेट की साझेदारी में और 30 ओवर टेल एंडर्स के साथ बिताए। 1 विकेट हाथ में और हार सामने थी।
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लेकिन, किसी ने सच कहा है “ किस्मत भी बहादुरों का साथ देती है”। उस रोज़ इंद्र देव लॉर्ड्स में जम कर बरसे और खेल दोबारा शुरू ना- हो सका। भारत और हार की बीच बारिश का दामन पकड़कर धोनी क्रीज़ पर डटे रहे। इस ड्रॉ ने भारत को 21 साल बाद इंग्लैंड की धरती पर 1-0 से पटौदी ट्रॉफी जीतने में अहम योगदान दिया।लॉर्ड्स में धोनी की ये पारी आज भी किसी भारतीय द्वारा खेली गई सर्वश्रेष्ठ जुझारू पारियों में गिनी जाती है।
#5:- भारत मैच हारा, धोनी ने दिल जीता।
113* (125) बनाम पाकिस्तान, मैदान-चेन्नई, साल-2012:-
2012 में भारतीय टीम पाकिस्तन के विरुद्ध 3 वन-डे मैचों की मेज़बानी करने जा-रहा था। ये 5 साल बाद पाकिस्तान और भारत के बीच एकदिवसीय द्विपक्षीय सीरीज़ का पहला मैच था। (चेन्नई ) आये दर्शकों को धक्का तब लगा।जब मात्र 29 रन पर भारत ने 5 विकेट खो दिये।लेकिन, धोनी ने पाकिस्तानी गेंदबाज़ों के सामने हथियार नहीं डाले।
पहले रैना और फिर अश्विन के साथ मिलकर माही ने भारत को 227-6 के सम्मानित स्कोर तक ले आये। 227 में 113 रन अकेले धोनी ने बनाये थे।जिसमें 7 चौके और 3 छक्के शामिल थे। जवाब में पाकिस्तान ने नासिर जमशेद के शतक की मदद से मैच 6 विकेट से जीत लिया।लेकिन, हार के बाद भी ‘मैन ऑफ़ द मैच’ अवॉर्ड धोनी को मिलना, इस पारी की एहमियत बताता है।
इस 3 मैचों की एकदिवसीय श्रखंला में धोनी ने रिकॉर्ड 203.00 की से औसत से 203 रन बनाए थे ।
#4:- लम्बे बालों वाले लड़के का कमाल।
148 (123) बनाम पाकिस्तान, मैदान-विशाखापट्नम, साल-2005:-
धोनी की बेहतरीन पारियों के इस सफ़र में अगला नंबर है। उस पारी का,जिसने धोनी को पहचान दिलाई। इस पारी से पहले अपने एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कैरियर की 4 पारियों में धोनी ने सिर्फ़ 22 रन बनाये थे।उन दिनों पाकिस्तान की टीम भारतीय दौरे पर थी। 6 मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला में भारत 1-0 की बढ़त के साथ विशाखापट्नम पहुंचा था ।
गाँगुली और टीम मैनेजमेंट ने धोनी को वन डाउन भेजने का फ़ैसला किया।फिर, जो हुआ वो क्रिकेट की किताबों में सुनहरी स्याही से लिखा है।धोनी ने 148 रनों की पारी में 15 चौके और 4 छक्के लगाये।धोनी की इस पारी की मदद से भारत ने 356-9 का स्कोर बनाया और 58 रन से मैच जीता।
सिरीज़ के बाद पाकिस्तानी टीम के कप्तान इंज़माम-उल-हक़ ने कहा “धोनी ने जिस ऑथोरिटी के साथ बल्लेबाज़ी की थी।उसने हमारी रातों की नींद उड़ा दी थी।”
3:- धोनी का दीवाली धमाका।
183* (145)बनाम श्रीलंका ,मैदान-जयपुर, साल-2005:-
ये मैच धोनी के बेबाक अंदाज़ के लिये याद रखा जाता है।साल 2005 के अक्टूबर माह में श्रीलंका 7 एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला के लिये भारत आयी थी।जयपुर के तीसरे एकदिवसीय मैच में संगकारा के शतक की सहायता से श्रीलंका ने 4 विकेट खोकर 298 रन बनाये।तीसरे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आये धोनी. उस रोज़ ग्राउंड का कोई कोना ऐसा नहीं था ,
जहाँ धोनी ने शॉट ना मारा हो।धोनी ने देखते ही देखते 15 चौके और 10 छक्कों के सहारे 145 गेंदों में नाबाद 183 रन बनाए।भारत ने 47वें ओवर की पहली ही गेंद पर 6 विकेट से मैच जीत लिया।धोनी के बल्ले से निकले नाबाद 183 रन एकदिवसीय इतिहास में विकेट कीपर बल्लेबाज़ द्वारा बनाया गया सर्वाधिक निजी स्कोर है ।
इस मैच के अगले दिन दिवाली थी।धोनी की इस आतिशी पारी का असर ये हुआ।कि, सभी हिन्दी अखबारों ने ‘धोनी का दिवाली धमाका’ से मिलती-जुलती हेडलाइंस लिखीं। भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में ये एक दुर्लभ नज़ारा है।
#2:- टेस्ट में इकलौता दोहरा शतक।
224(265) बनाम ऑस्ट्रेलिया, मैदान-चेन्नई, साल-2013:-
2013 में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम 4 टेस्ट मैच खेलने भारत आई।तो, हर भारतीय का सपना था 2012 में ऑस्ट्रेलिया से 4-0 सिरीज़ हार का बदला लेने का।सिरीज़ का पहला टेस्ट चेन्नई में था।वो चेन्नई जो धोनी का दूसरा घर कहा जाता है।ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी के 380 रनों के जवाब में धोनी ने अकेले ही 224 रन बना डाले।
चेन्नई की जिस्म झुलसा देने वाली गर्मी में खेली गयी ये 224 रन की पारी अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में विकेट कीपर का चौथा सर्वाधिक स्कोर है।जबकि, भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज़ द्वारा सर्वाधिक टेस्ट स्कोर है।धोनी के 224 रनों की बदौलत भारत ने मैच 8 विकेट से जीता और फिर सीरीज 4-0 से जीत कर साल 2012 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में हुई हार का बदला लिया।
इस पारी से जुड़ी एक ख़ास बात ये है।कि, धोनी ने इकलौता टेस्ट दोहरा शतक 24-फ़रवरी-2013 को लगाया।ठीक इसी तारीख को 2010 में सचिन ने एकदिवसीय इतिहास का पहला दोहरा शतक लगाया था।जबकि, नॉन-स्ट्राइकर छोर पर धोनी खड़े थे।
#1:-Dhoni Finishes Off in Style!
91*(79) बनाम श्रीलंका , विश्व कप फ़ाइनल ,मैदान-वानखेड़े , साल-2011:-
एक प्रेस कांफ्रेंस में धोनी से उनके द्वारा खेली गई पसंदीदा पारी के बारे में पूछा गया।तो, उन्होंने सवाल नुमा जवाब दिया। “2011 विश्व कप फ़ाइनल में खेली गई पारी तुम्हें कैसी लगती है?” धोनी द्वारा 79 गेंदों में बनाये गए नाबाद वो 91 रन सर्वश्रेष्ठ कप्तानी पारियों में शुमार हैं।वानखेड़े में श्रीलंका के 274 रनों के जवाब में भारत एक समय 114 रन पर 3 विकेट खो चुका था।
विश्व कप फाइनल के दबाव में भी धोनी बाहें चढ़ाते हुए सधी हुई चाल से क्रीज़ की तरफ़ आ-रहे थे। मानों,अर्जुन ने मछली की आँख पर ध्यान केन्द्रित किया हो। धोनी के आने से पहले जो श्रीलंकाई टीम भारी पड़ रही थी।उसको धोनी ने अपने हिसाब से चलाया।और फिर कुलासेकरा की गेंद पर छक्का मारकर विश्व कप जीतने वाला शॉट आज भी प्रत्येक भारतीय की यादों में ताज़ा है।
उस शॉट के बारे में सुनील गावस्कर ने कहा “मैं ज़िन्दगी के अन्तिम पलों में वो शॉट देखना चाहूंगा।“