Ritesh Agarwal: OYO Hotel Success Story
कहते हैं कि अगर किसी चीज को पूरे दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है ।
कुछ ऐसा ही काम 17 साल की उम्र में इंजीनियरिंग छोड़कर रितेश अग्रवाल ने कंपनी शुरू कर किया। बिना किसी की मदद के शुरू किए कारोबार को 71 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की ऊंचाई पर पहुंचा दिया है ।
ओयो रूम्स वास्तव में इस वक्त भी दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता होटल चेन है। कोरोना संकट की अवधि में हालांकि Oyo Rooms के कामकाज पर असर पड़ा है। लोकप्रियता, कारोबारी सफलता और वित्तीय समृद्धि के मामले में आज रितेश अग्रवाल का कोई सानी नहीं है।
रितेश अग्रवाल का जन्म-
रितेश अग्रवाल का जन्म 16 नवंबर 1993 को उड़ीसा एक एक छोटे से शहर बिसम कटक में हुआ था। Oyo Rooms के फाउंडर रितेश हुरून ग्लोबल रिच लिस्ट में भी शामिल हो चुके हैं. इस लिस्ट के अनुसार अग्रवाल दुनिया के सबसे युवा अरबपति हैं। उनकी सक्सेस का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि महज 24 साल की उम्र में अग्रवाल के पास करीब 7,800 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी थी।
रितेश अग्रवाल ने ओयो रूम्स (Oyo rooms) जैसे कारोबार की स्थापना वैसे वक्त में कि जब दूसरे लोग इस बारे में सोच भी नहीं पा रहे थे। होटल बुकिंग के लिए सॉफ्टवेयर बनाने की वजह से oyo के माध्यम से लोगों को अपना पसंदीदा होटल प्रतियोगी कीमत पर का पाने का मौका मिला। रितेश अग्रवाल कहते हैं कि उनकी सफलता आसान नहीं है। रितेश अग्रवाल को अपने कारोबारी क्षमता पर शुरू से ही भरोसा नहीं था।
यह भी पढ़ें:- Domino’s Pizza के संस्थापक टॉम मोनाघन की कहानी।
ऐसे शुरू हुई कंपनी-
रितेश ने ओयो रूम्स की शुरुआत करने से पहले 2012 में ओरेवल स्टेस नाम की एक ऑनलाइन रूम बुकिंग कंपनी को शुरू किया था। रितेश का यह आइडिया इतना यूनीक था कि उससे इंप्रेस होकर गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरेवल में इनवेस्ट किया और को-फाउंडर बन गए। वहीं 2013 में रितेश ने इस कंपनी को ओयो रूम्स में बदल दिया। ऐसा कहा जाता है कि रितेश को घूमने फिरने का काफी शौक है और यही शौक उन्हें यूनीक बिजनेस आइडिया दे गया।
दरअसल, यह बात 2009 के आस पास की है जब उन्हें पहाड़ों की ओर घूमने के लिए जाने का मौका मिला। घूमने के दौरान उन्होंने महसूस किया कि रूम का अरेजमेंट करने में काफी परेशानी होती है। कभी ज्यादा पैसे देकर खराब रूम मिलता है तो कभी कम पैसे देकर भी अच्छा रूम मिल जाता है. बस यहीं से उनके दिमाग में एक अनूठे बिजनेस आइडिया ने जन्म लिया और उन्होंने ओयो रूम्स के रूप में एक सक्सेसफुल कंपनी खड़ी कर दी।
रितेश की शुरुआती पढ़ाई अपने ही जिले में एक स्कूल से हुई और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली चले गए। दिल्ली में रितेश ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस अकादमी में एडमिशन लिया लेकिन उनके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था और उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी । रितेश छोटी उम्र से ही वेदांता के अनिल अग्रवाल, स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग और बिल गेट्स को अपना आदर्श मानते रहे हैं।
बता दें कि रितेश मौजूदा समय में IIT और IIM जैसे संस्थानों से पढ़े लोगों की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। एक इंटरव्यू में रितेश ने कहा था कि भारत में ड्राप आउट का मजाक उड़ाया जाता है और उन्हें समझदार तो बिल्कुल भी नहीं समझा जाता है। उनका मानना है कि अगले कुछ साल में भारत में कुछ और ड्राप आउट नाम कमाएंगे।
पढ़ाई में मन नहीं लगा-
जब वे कॉलेज में पढ़ाई के लिए जा रहे थे या दूसरी जगह काम कर रहे थे, तब भी वे अपने भविष्य को लेकर बहुत आशंकित रहते थे। इसके बाद एक झटके से उन्होंने ओयो रूम्स जैसे कारोबार की शुरुआत कर दी। रितेश ने कहा कि अगर मैं पढ़ाई करता तो मुझे पता था कि मैं अच्छा नहीं कर पाता। कॉलेज जाने के बाद भी पढ़ाई नहीं करने की वजह से मेरा परिवार मुझे नफरत की नजर से देखता। इसकी जगह रितेश ने पढ़ाई छोड़कर अपना कारोबार करने का मन बनाया।
ओयो रूम्स के संस्थापक रितेश अग्रवाल ने कहा कि ओयो वेंचर के सफल होने से पहले उन्हें छह बार असफलता हाथ लग चुकी है। रितेश ने कहा, “अगर आप असफल नहीं होते तो आप कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार नहीं हो सकते।” दक्षिण ओडिशा में रितेश का परिवार एक छोटी सी दुकान चलाता है। Ritesh Agarwal अगर अपने लिए कोई दूसरा काम पसंद नहीं करते तो उन्हें भी उस दुकान पर ही बैठना पड़ता।
चीन में शुरू किया बिज़नेस-
रितेश अग्रवाल ने बिल गेट्स और Ola Cabs के को-फाउंडर व साथी ड्रॉपआउट 32 वर्षीय भाविश अग्रवाल से प्रेरणा ली है। करीब तीन साल पहले ओयो ने चीन में अपनी सेवाएं लॉन्च की थी। यह एक भारतीय कन्ज्यूमर टेक्नॉलजी कंपनी का दुर्लभ उदाहरण है, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सेवा दे रही है। साल 2012 में रितेश ने OREVAL STAYS नाम की एक ऑनलाइन रूम बुकिंग करने की कंपनी खोली जिसका उद्देश्य लोगो कम दाम में अच्छे रूम उपलब्ध करवाना था।
रिमोट कंट्रोल पर कब्जा ने दिया Idea-
रितेश अग्रवाल दक्षिण ओडिशा के एक छोटे से कस्बे विषम कटक के रहने वाले हैं। यह नक्सली गतिविधियों के लिए बदनाम इलाका है। रितेश टीवी के रिमोट पर अपना कंट्रोल रखने की इच्छा की वजह से ओयो रूम्स की शुरुआत करने के लिए प्रेरित हुए। घर में बच्चे रिश्तेदारों के साथ रहते हैं और इस वजह से उन्थेहें कई बार बड़े लोगों के कार्यक्रम ही देखने पड़ते हैं।
रितेश ने कहा, “रिश्तेदारों के घर टीवी के रिमोट पर मेरा कंट्रोल नहीं होता था। इसी वजह से मैंने ओयो रूम्स की शुरुआत करने के बारे में सोचा। रिश्तेदार डेली सोप देखना चाहते थे और मैं कार्टून नेटवर्क देखना चाहता था।”
रितेश अग्रवाल को चीन में काफी पसंद किया जाता है। चीन में रितेश अग्रवाल को ली ताई शी के नाम से जाना जाता है। बता दें कि चीन में ओयो को सबसे बड़ी होटल कंपनी के रूप में स्थापित करने वाले 27 साल के रितेश ने इसके लिए दुनिया की सबसे कठिन समझी जाने वाली चीनी भाषा मंदारिन को कुछ ही महीनों में सीख लिया था।
यू ट्यूब पर देखें –