दोस्तों कहा जाता है , कि किसी की प्रेरणा बनना, किसी का मार्गदर्शक बनना बहुत कठिन काम है।
क्योंकि ये ओहदा आपको तभी मिलता है जब आप पर कोई भरोसा करने को तैयार हो जाये।
लेकिन ये भरोसा हासिल करने के लिए एक ऐसे रास्ते को तय करना पड़ता है जहां आप अकेले होते हैं। उस समय आपके पास कोई नहीं होता। ना कोई सहारा ना कोई उम्मीद।
तो आज हम एक ऐसे ही अफ्रीकी क्रिकेटर की बात करेंगे जो लाखों अफ्रीकी युवाओं के लिए प्रेरणा है। लेकिन उनका बचपन बदहाली और गरीबी के ऐसे साये में गुजरा जिसमें अच्छे अच्छे लोग घुटने टेक देते हैं।
दोस्तों इस महान क्रिकेटर का नाम है मखाया एंटिनी।
मखाया एंटिनी (Makhaya Antony) का शुरुआती जीवन-
मखाया एंटिनी के शुरुआती जीवन की बात करें तो इनका जन्म 6 जुलाई 1977 को अफ्रीका में केप प्रोविंस के एमडिंगी गांव में हुआ था, जिसे इस्टर्न केप के नाम से भी जाना जाता है।
एंटिनी बचपन में अपने दोस्तों के साथ गांव के खेतों में नंगे पांव गाय और अन्य जानवर चराया करते थे। बचपन में सर्दी के मौसम में ठंड से बचने के लिए ये गाय के ताजा गोबर में अपने पैर रख देते थे जिससे कि इनके पैरों को गर्मी मिल सके। उनके पास ठंड से बचने का और कोई रास्ता नहीं था।
मखाया एंटिनी का क्रिकेट में शुरूआत-
इतनी बदहाली में भी इनके अन्दर क्रिकेट के लिए बेशुमार जुनून था। ये जब पन्द्रह साल के थे तब बोर्डर क्रिकेट बोर्ड के एक अफसर रेमन्ड बूल की नजर इन पर पड़ी। रेमन्ड उस समय एक क्रिकेट प्रोग्राम का आयोजन कर रहे थे।
रेमन्ड इनकी कद काठी और गेंदबाजी से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने इनको एक जोड़ी कपड़े के जूते दिये और साथ ही किन्गस विलियम टाउन्स में इन्हें खेलने के लिए भेज दिया। हालांकि एंटिनी अभी इसके लिए बहुत छोटे थे, लेकिन रेमन्ड ने शायद इनकी काबीलियत को पहचान लिया था और इन्हें इनकी प्रतिभा निखारने का मौका मिल गया ।
वहां एंटिनी ने उस प्रोग्राम के अध्यक्ष ग्रेग हाइस को भी प्रभावित किया। ग्रेग ने इन्हें एक जोड़ी बूट देते हुए कहा कि इनको गाय चराते समय मत पहनना। इसके 2 साल बाद इन्हें इंग्लैंड दौरे के लिए अफ्रीका की अंडर19 टीम में शामिल किया गया।
इस दौरे के 2 टेस्ट मैचों में इन्होंने शानदार 9 विकेट लिये। इनकी किस्मत का पहिया अब धीरे धीरे पटरी पर आने लगा था।
मखाया एंटिनी का अफ्रीका की फस्ट क्लास क्रिकेट टीम में चयन-
1995 में इन्होंने अपने फस्ट क्लास क्रिकेट करियर की शुरुआत इंग्लैंड इलेवन के खिलाफ की। इस मैच में इन्हें 2 विकेट मिले।
अपने पहले फस्ट क्लास सीजन में एंटिनी ने 37.05 की औसत से 17 विकेट लिये। जहां इनका बेस्ट प्रर्दशन फ्री स्टेट टीम के खिलाफ आया। जहां इन्होंने 17 ओवरों में 49 रन देकर तीन विकेट लिए।
इसके बाद एक बार फिर इन्हें भारत दौरे के लिए अफ्रीका की अंडर 19 टीम में शामिल किया गया। इस दौरे के पहले मैच में इन्हें 5 विकेट मिले लेकिन तीसरे टेस्ट में शानदार प्रदर्शन करते हुए पहली पारी में छह और दुसरी पारी में 3 विकेट मिले ।
इस प्रर्दशन ने इनके लिए इंटरनेशनल क्रिकेट का दरवाजा खोल दिया। एंटिनी ने अपना पहला वनडे मैच 16 जनवरी 1998 को न्युजीलैंड के खिलाफ खेला। मखाया एंटिनी दक्षिण अफ्रीका के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले पहले काले रंग के खिलाड़ी बन चुके थे।
यहां आपको बता दें कि 1970 में अफ्रीका सरकार की रंग भेद नीति के कारण आफ्रिकन क्रिकेट टीम को ICC द्वारा बैन कर दिया गया था। यह बैन 21 साल बाद 1991 में तब जाकर खत्म हुआ जब साउथ अफ्रीका ने रंगभेद के खिलाफ नीति बनाई।
इसके बाद अफ्रीका के लिए कई काले रंग के खिलाड़ियों ने क्रिकेट खेला, जिनमें मखाया एंटिनी पहले खिलाड़ी बने। इन्होंने अपना टेस्ट डेब्यू 16 मार्च 1998 को श्रीलंका के खिलाफ किया।
अपने चौथे टेस्ट मैच में इन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 72 रन देकर चार विकेट लिए और इंटरनेशनल क्रिकेट में अपने आगाज का बिगुल फूंक दिया।
यह भी पढ़ें:- कर्टनी वोल्श: टेस्ट क्रिकेट में पाँच सौ विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज की कहानी।
मखाया एंटिनी की किस्मत ने एक बार फिर इन्हें एक धक्का दिया-
लेकिन यहां आकर इनकी किस्मत ने एक बार फिर इन्हें एक धक्का दिया। जिस करियर के लिए इन्होंने इतना लंबा सफर तय किया था वो करियर एक साल में ही खत्म होने की कगार पर तब आ गया जब इन पर 21 साल की स्टुडेंट के साथ रेप करने का संगीन आरोप लगा।
खुद पर लगे आरोपों को नकारते हुए एंटिनी ने कहा कि उन्होंने उस लड़की को सिर्फ लिफ्ट दी थी। लेकिन इनको दोषी पाया गया और 1999 वर्ल्डकप टीम से बाहर कर दिया गया। और 12 महीने इन्हें एक आरोपी की जिन्दगी जीनी पड़ी।
मखाया एंटिनी की मैदान पर वापसी-
अगले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरोपों से मुक्त होने के बाद फिर मैदान पर वापसी की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
भारत और पाकिस्तान के खिलाफ एक त्रिकोणीय सीरीज में वापसी करते हुए इन्होंने अपने पहले मैच में भारत के खिलाफ 36 रन देकर तीन विकेट लिये।
मखाया एंटिनी 10 विकेट लेने वाले पहले अफ्रीकी गेंदबाज-
और फिर आया 2003 का इंग्लैंड दौरा जिसका दुसरा टेस्ट मैच लार्डस मैदान पर हो रहा था। इस मैच की दोनों पारियों में इन्होंने 10 विकेट लेकर अपना नाम लार्डस ओनर बोर्ड पर अमर करवा लिया। वो लार्डस मैदान पर 10 विकेट लेने वाले पहले अफ्रीकी गेंदबाज बने।
इस ऐतिहासिक क्षण की बात करते हुए इन्होंने कहा कि मैं ये सोचकर खुश हूं कि ये पल अफ्रीका के कई काले रंग के युवाओं को ये बतायेगा कि अगर आप में प्रतिभा है तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका रंग कैसा है या आपकी जाति कौनसी है। यह पल कई युवाओं के सपने को पूरा करने में मदद करेगा।
उन्होंने आगे कहा कि वो इस बात से सबसे ज्यादा खुश हैं कि किसी अफ्रीकी गेंदबाज का नाम अब होम ओफ क्रिकेट के बोर्ड पर दर्ज हो गया है।
मखाया एंटिनी का क्रिकेट करियर का बेस्ट प्रर्दशन-
2005 में इन्होंने अपने टेस्ट करियर का बेस्ट प्रर्दशन करते हुए वेस्टइंडीज के खिलाफ पोर्ट ओफ स्पेन में 132 रन देकर 13 विकेट लिए। यह प्रर्दशन किसी भी अफ्रीकी गेंदबाज का एक टेस्ट में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है।
यह सिलसिला जारी रखते हुए एंटिनी ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ 3 मार्च 2006 में आपने वनडे करियर का बेस्ट प्रर्दशन भी दर्ज करवाया। इन्होंने इस मैच में 22 रन देकर 6 विकेट लिये। इस मैच में आस्ट्रेलिया 100 का आंकड़ा भी नहीं छु पाई थी।
यह प्रर्दशन भी आज तक किसी भी अफ्रीकी गेंदबाज का एक वनडे मैच में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है। गरीबी और बदहाली से निकलकर अब मखाया एंटिनी दक्षिण अफ्रीका के महान गेंदबाजों में शुमार हो गये थे।
20 जनवरी 2007 को अपने 74 वें टेस्ट मैच में इन्होंने 300 विकेट पूरे किए और अफ्रीका की तरफ से ये आंकड़ा छुने वाले तीसरे गेंदबाज बन गये इनसे पहले अलान डोनाल्ड और शोन पोलाक है।
2006-2007 में इन्हें ICC की वर्ल्ड टेस्ट इलेवन में भी जगह मिली और साथ ही ये ICC टेस्ट रैंकिंग में दूसरे स्थान पर भी रह चुके हैं।
अपने 90 वें टेस्ट मैच में इन्होंने एलेस्टर कुक को आउट कर अपने 350 विकेट पूरे किए। इन्होंने अपना 100 वां टेस्ट मैच 17 दिसंबर 2009 को इंग्लैंड के खिलाफ खेला जिसमें इन्हें 2 विकेट मिले। इनके 100 टेस्ट मैच खेलने पर पुरे देश में जश्न मनाया गया था जो एक यादगार लम्हा था।
लेकिन इसके बाद इन्हें सिर्फ एक टेस्ट मैच खेलने का ही मौका मिला। इसके बाद इन्हें इनके खराब प्रदर्शन के कारण बाहर कर दिया गया। इन्होंने अपना आखिरी वनडे मैच 17 अप्रैल 2009 को आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। और आख़िरी टेस्ट मैच 26 दिसंबर 2009 को इंग्लैंड के खिलाफ खेला। जाने कैसे
इन्होंने अपने करियर का आखिरी T20 मैच भारत के खिलाफ 9 जनवरी 2011 को खेला और फिर सन्यास की घोषणा कर दी।
बात करें इनके आइपीएल करियर की तो ये करियर पहले सीजन में ली गई हैट्रिक के कारण याद किया जाता है जो इन्होंने चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से खेलते हुए ली थी।
इन्होंने आईपीएल के सिर्फ 3 सीजन ही खेले थे जिनमें इनकी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स ही रही। एंटिनी दुसरे ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने 100 टेस्ट मैच बिना किसी अर्द्धशतक के खेलें थे। इनसे पहले सिर्फ वेस्टइंडीज गेंदबाज कर्टनी वाल्श है जिन्होंने ऐसा किया था।
मखाया एंटिनी का जीवन से जुड़े अनसुने किस्से-
अब बात करते हैं इनके करियर के उस पहलु कि जिसका खुलासा इन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान किया था। इन्होंने कहा था कि ये गांव में गायों के बीच पले बड़े होने के कारण गाय के गोबर को अपने लिए लकी मानते थे।
इसलिए वो हमेशा अपनी क्रिकेट किट की बैग में गोबर रखते थे। उन्हें जब भी मैदान पर अच्छे प्रदर्शन की जरूरत होती थी तो वो उस गोबर के टुकड़े को चूम लिया करते थे।
इसके अलावा उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें पेशाब के फायदों का भी ज्ञान था। इसलिए जब भी मैदान पर उन्हें आलस महसूस होता था तो वो ब्रेक के दौरान पेशाब हाथों पर करते थे और उन्हें अपने चेहरे पर मसल देते थे। इससे उनको ताजगी का अहसास होता था।
एंटिनी ने अपने करियर में 101 टेस्ट मैच, 173 वनडे मैच और 10 टी20 मैच खेले थे। जिनमें टेस्ट में उनकी विकेटों का आंकड़ा 390, वनडे में 266 और टी20 में 6 विकेट रहा।
इनके बारे में एक अजीब बात यह रही कि एक तेज गेंदबाज होते हुए भी इनके करियर में कभी चोट या मोच की शिकायत नहीं हुई।
इनकी गेंदबाजी में हमेशा एक ही रफ्तार रही। इनके करियर में इनकी गेंदबाजी पर बहुत से सवाल भी उठे थे क्योंकि ये क्रीज से थोड़ा हटकर गेंद डालते थे। ये 2016 से 2018 तक जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम के कोच भी रहे हैं।
मखाया एंटिनी का ब्यक्तिगत जीवन-
बात करें इनके निजी जिंदगी की तो इनका विवाह थान्डेकी एंटिनी से हुआ, जिनसे इनको एक बेटा है जिसका नाम थांडो एंटिनी है, जो अफ्रीकी U19 टीम का हिस्सा रह चुका है।
26 सितंबर2014 को एंटिनी सबसे ऊंचे स्थान पर हुए क्रिकेट मैच का हिस्सा रहे। यह मैच किलीमंजारो पहाड़ी पर हुआ था। रग्बी पसंद करने वाले और एमडिंगी एक्सप्रेस के नाम से जाने जाने वाले इस क्रिकेटर ने क्रिकेट की दुनिया के साथ साथ अपने देश को बहुत से खुबसूरत पल दिये है।
सबसे बड़ी चीज जो इन्होंने दी वो था अफ्रीका के काले रंग के युवाओं को हौसला अपनी टीम के लिए खेलने का। यह कोशिश उनकी आज भी जारी है। मखाया एंटिनी एकेडमी द्वारा ये अफ्रीकन क्रिकेट की एक नयी पीढ़ी तैयार कर रहे हैं जिसमें काले रंग के युवाओं को भी बराबर का मौका मिलेगा।
क्रिकेटर पोम्मी म्बंगवा के साथ हाल ही में हुए एक इंस्टग्राम लाइव सेशन में एंटिनी ने बताया की वो जल्द ही एक बुक लेकर आ रहे हैं जिसमें वो अपने क्रिकेट के सफर के बारे में बताएँगे।
यू ट्यूब पर देखें –