हम सभी रामायण से जुड़ी अधिकांश महत्वपूर्ण घटनाओं से तो भली-भांति परिचित ही हैं कि किस प्रकार रावण ने माता सीता का अपहरण किया और प्रभु श्री राम ने हनुमान जी की सहायता से रावण से युद्ध कर माता सीता को मुक्त कराया आदि।
परन्तु बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि रावण ने न सिर्फ माता सीता का अपहरण किया बल्कि एक बार पहले भी उसने श्रीराम की माता यानि महाराजा दशरथ की पत्नी महारानी कौशल्या का भी अपहरण कर लिया था।
महारानी कौशल्या से जुड़ी इस कथा का आनंद रामायण में बड़े ही विस्तार रूप से वर्णन किया गया है।
कब किया रावण ने माता कौशल्या का हरण-
आनंद रामायण के अनुसार रावण ने माता सीता से पहले ही श्रीराम की माता कौशल्या का अपहरण भी किया था।
इस बात का विस्तृत वर्णन आनंद रामायण के उस अध्याय में सुनने का मिलता है जिसमे दशरथ औऱ कौशल्या के विवाह का वर्णन किया गया है। कौशल्या महाराज सकौशल और अमृतप्रभा की बेटी थीं।
विवाह योग्य होने पर कौशल्या के पिता ने सभी प्रदेशों के राजकुमारों को उनके स्वयंवर का निमंत्रण भेजा परंतु उन्होंने सिर्फ राजा दशरथ से निंमत्रण नहीं भेजा क्योंकि वह उन्हें अपना शत्रु मानते थे।
वहीं दूसरी ओर दशरथ को कौशल्या अत्यंत पसंद थी और वे उनसे विवाह करने के इच्छुक भी थे इसलिए उन्होंने अपनी ओर मित्रता का प्रस्ताव भी भेजा, परन्तु राजा सकौशल ने क्रोधित होकर ने उन्हें युद्ध करने की चुनौती दे डाली।
इस युद्ध में राजा सकौशल की पराजय हुई और उन्होंने महाराजा दशरथ से हार स्वीकार कर अपनी पुत्री कौशल्या का विवाह राजा दशरथ से संपन्न करवाया।
इधर ब्रहमा ने रावण को उसके भविष्य के बारे में बताते हुए यह भी बता दिया कि दशरथ और कौशल्या के पुत्र के हाथों ही तुम्हारी मृत्यु होगी। ज्ञानी किंतु अंहकारी को यही लगा कि उससे भला कौन जीत सकता है।
उसने निश्चय किया कि पुत्र होने से पूर्व ही वह उन दोनों को एक दूसरे से दूर कर देगा।
रावण ने अपने उपाय के अनुसार उपयुक्त समय देखकर दशरथ और कैकेयी के विवाह के दिन ही कौशल्या का अपहरण कर लिया।
कहाँ छुपाया कौशल्या को रावण ने-
अपहरण करने के पश्चात उसने कौशल्या को एक बड़े संदूक में बंद करके समुद्र के रास्ते एक ऐसे सुनसान द्वीप पर छुपा दिया जहाँ कोई भी आसानी से न पहुँच सके।
परन्तु जैसे ही राजा दशरथ को रावण के द्वारा किए गए इस कृत्य के बारे में देवर्षि नारद से पता चला उन्होंने रावण से युद्ध की तैयारी कर दी नारद ने उन्हें उस स्थान के बारे में भी बताया जहां कौशल्या को रावण ने छुपा रखा था।
राजा दशरथ रावण से युद्ध करने के लिए अपनी सेना लेकर उस द्वीप पर पहुंच गए जहाँ कौशल्या को उसने छुपा रखा था।
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इधर रावण को भी उसके गुप्तचरों द्वारा सूचना मिल गयी कि दशरथ अपनी सेना के साथ आ रहे हैं।
भयंकर युद्ध हुआ और इस युद्ध में रावण की शक्तिशाली सेना दशरथ की सेना पर भारी पड़ी।
सेना की पराजय के बाद भी दशरथ ने हार नहीं मानी और एक लकड़ी के तख्ते के सहारे समुद्र में तैरते हुए उस संदूक तक पहुंच गये जिसमें कौशल्या को बंद करके रखा गया था।
कौशल्या को उस संदूक से मुक्त कर दशरथ सकुशल उन्हें साथ लेकर अपने महल पहुँच आये। इस प्रकार रावण चाहकर भी विधि के लिखे विधान को न मिटा सका।