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टॉप 5 Biggest What Ifs in क्रिकेट |

दोस्तों ज़िंदगी एक ऐसी पहेली है,जिसकी गुत्थी (Knik) सुलझाना बड़ा मुश्किल है। लाइफ इस नॉट अबाउट (About) वट यू लॉस्ट, बट (But) इट (It) इस अबाउट (About) वॅट (What) यू वॉन, सो जस्ट (Just) मूव ऑन। इसी लिए तो कहते हैं कि चलती का नाम गाड़ी, जो पाया है, वो काफ़ी है। लेकिन ये दिल, दिल है कि मानता ही नहीं। इसे तो टाइम मशीन (Machine) में जाने का कुछ ज़्यादा ही शौंक रहता है। क्या करे, जज़्बाती (Emotional) है न। समझता तो ये भी है, कि जो होना था वो हो चुका है। जो गलतियाँ पुराने समय में हो गई, जो नाइटमेयर (Nightmare) आना था, वो गुज़र चुका है। अब तो महज़ बीते समय का अफसाना सा रह गया। अब कुछ नहीं किया जा सकता। जो पिछले समय में खो दिया, अब वो वापिस तो नहीं आ सकता। लेकिन ये ह्यूमन (Human) नेचर (Nature) है। उसी बारे में सोचना, कि काश ऐसा न होता। तो ये भी हमारे पास होता। ये हार्ट ब्रेक (Brake) न होता। थोड़ी देर के लिए सोचने को तो ठीक है,2 पल की खुशी।लेकिन जो वास्तव है, वो कहाँ बदलने वाला है।
क्रिकेट में भी आए दिन कुछ न कुछ खुराफात चलती ही रहती है। एक के बाद एक इवेंट्स (Invest) ऐसे होते हैं, जो एक खेमे (Ranks) को तो खुशियों के पल दे जाते हैं, वहीं दूसरे डगआउट (dugout) की खामोशी (Silence) की वजह। कई बार छोटी छोटी गलतियों से ही कुछ ऐसे रिकॉर्ड्स (Records) बन जाते हैं कि जब पीछे मुड़कर हम उन्हें याद करते हैं तो लगता है कि यार अगर ये न होता तो रिजल्ट (Result) कुछ और होता।
आज की (Post) में हम आपसे क्रिकेट के कुछ ऐसे ही बड़े वॅट (What) इफ (If) मोमेंट्स (Moments) की बात करेंगे जो हमें टाइम ट्रैवल (Travel) करने को मजबूर कर देते हैं। तो चलिए, बिना किसी देरी के आज का (Post) शुरू करते हैं।

Steve Smith

5. एशेज 2019, वट इफ स्मिथ को कनकशन ही न होती: पिछले कुछ समय में जो आईपीएल (IPL) के गज़ब के थ्रिलिंग (Thrilling) मुकाबले हुए, उन्हें देखकर लोग स्क्रिप्टेड (Scripted) स्क्रिप्टेड के नारे लगाने लगे। अब इसका कोई प्रूफ (Proof) तो नहीं।पर हम सबकी स्क्रिप्ट तो ऊपरवाला पहले ही लिख चुका है। कब क्या होना है, कहते हैं पुननिर्धारित (Reschedule)  है। ऐसा ही कुछ हुआ था 2019 की हाई वोल्टेज, हाई इंटेंसिटी वाली एशेज सीरीज में। जहां स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर की बॉल टैंपरिंग स्कैंडल के एक साल के बैन के बाद वापसी हुई। और स्मिथ ने आते ही एशेज के पहले टेस्ट में जबरदस्त वापसी की। अपने कंधों पर बैटिंग लाइन अप कैरी (Carry) करते हुए पहली पारी में जहां एक वक्त टीम 122/8 थी, वहां 144,तो वहीं दूसरी पारी में 142 रनों की धाकड़ पारी खेल कोहराम मचा दिया था। ऐसा ही कुछ हुआ दूसरे मैच में भी हुआ। जब ऑस्ट्रेलिया की लड़खड़ाती (Stubling) पारी को फिर से संभालते दिखे स्मिथ। लेकिन आज इंग्लैंड की तरफ़ से डेब्यू (Debut) कर रहे थे जोफरा आर्चर। एक रॉ पेस,और जी जान वाला खूंखार गेंदबाज (Bowling), जो 80’s के वेस्टइंडीज अटैक (Attack) की याद दिलाता। आज अपनी घातक पेस और तीखी बाउंसरों (Bouncers) से सबको टेस्ट कर रहा था। और जब उसका सामना स्मिथ से हुआ। तो पहले तो उसकी बुलेट (Bullet) सी तेज़ गेंद स्मिथ की कोहनी में जा लगी। बैटल काफ़ी इंटेंस चल रहा था। आर्चर (Archer) की एक बाउंसर पर स्मिथ ने पुल का चौका लगाया।लेकिन अगली ही गेंद विनाशकारी (Devastating) बाउंसर 149 की गति से स्मिथ के गर्दन (Neck) में बुरी तरह जा लगी और वे मैदान पर बेहोश हो/चित हो गए। स्मिथ रिटायर्ड (Retired) हर्ट (Heart) होकर चले गए। हालांकि वे पहली इनिंग्स (Inning) में वापिस आए और 92 का स्कोर भी बनाया।लेकिन दूसरी इनिंग में स्मिथ कनकशन (Concussion) के चलते बल्लेबाजी करने न आ सके। उस पल लगा कि अब क्या होगा। ऑस्ट्रेलिया के 75% रन बनाने वाला बल्लेबाज ही मैच से बाहर। तभी क्रिकेट इतिहास का पहला कनकशन सब्स्टीट्यूट 24 साल का एक टैलेंटेड खिलाड़ी, जो अभी तक अपने करियर में प्रभावित न कर सके मारनस लबूशेन मैदान पर उतरे। और आते ही जोफरा की पहली गेंद मुंह पर खाई।लेकिन वह फिर उठ खड़े हुए। और आते ही 59 रनों की जुझारू (Belligerent) पारी खेली। इसके बाद 74,80,67,48 की इंपैक्टफुल (Impactful)  पारियां खेल अपनी गहरी छाप छोड़ी। और 2019 में खेले 13 मैच में 1104 रन ठोक कोहराम मचा दिया। यही नहीं, लबूशन ने जो रनों का पहाड़ खड़ा किया, वो काबिले तारीफ़ था। ये लॉर्ड्स टेस्ट ही था, जिसने उन्हें एक नई पहचान दी, उनके करियर (Career) को एक नई दिशा दी और ऑस्ट्रेलिया की हर प्लेयिंग 11 का एक महत्वपूर्ण (Important) सदस्य (Member) बना दिया। कमाल है न किस्मत के रंग भी, किसी वक्त 63 की एवरेज (Average) वाले स्मिथ की रिप्लेसमेंट (Replacement) करने वाला 26 की औसत वाला एक औसतन बल्लेबाज आज टैस्ट का नंबर एक बल्लेबाज (Batsman) बनेगा। आज लबूशन के नाम 37 टेस्ट में 2 दोहरे शतक,8 शतक समेत 3394 रन हैं। साथ ही 57.5 के अविश्वसनीय (Incredible) औसत (average) से रन बनाकर लबूशेन (Labushan) ने टैस्ट क्रिकेट को ही नई बुलंदियों तक पहुंचा ऑस्ट्रेलिया को लगभग अजय बना ही दिया है।लेकिन ज़रा सोचिए कि अगर उस वक्त स्मिथ को वो बाउंसर न लगती, अगर लैंगर मिचेल मार्श को उनकी रिप्लेसमेंट (Replacement) भेजते तो क्या दुनिया (World) को स्मिथ 2.0 देखने को मिलता। अगर लबूशेन को वो लाइफ चेंजिंग ऑपर्च्युनिटी (Opportunity) न मिलती तो क्या आज उनका विश्व (World) क्रिकेट में इतना रुतबा होता। जवाब है नहीं,लबूशेन उस मुकाम तक न पहुंच पाते जिस बुलंदी पर वे आज हैं। शायद आज भी उनका टीम से अंदर बाहर होता रहता।

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Thisara

4. 2014, वॉट इफ थिसारा परेरा रोहित का वो कैच पकड़ लेते: कहते हैं कि जब दिन आपका हो, और जब किस्मत (Destiny) आपको मौका दे तो उस मौके (Opportunity) को दोनों हाथों से लपकने वाला ही बाज़ीगर कहलाता है। ऐसा ही कुछ हुआ था 13 नवम्बर 2014 को कोलकाता के ईडन गार्डन में जहां भारत और श्रीलंका के बीच सीरिज (Series) का चौथा मैच खेला जा रहा था। शुरुआत तो रहाणे ने तेज़ तर्रार की,और बड़े स्कोर (Score) को अग्रसरm (Marching) लग रहे थे। और रोहित जो कि इंजरी (Injury)से वापिस आए थे, काफ़ी धीमा और आराम से खेल रहे थे। जब वे 4 रन पर थे तो उनका एक शॉट थर्ड मैन पर थिसारा परेरा के हाथ में कैच गया था। जिसे वे लपक न सके। बस फिर क्या था, स्ट्रगल (Struggle) कर रहे रोहित ने हिटमैन (Hitman) का जो रूप धारण (Holding) किया, और श्रीलंकाई गेंदबाजों (Bowlers) को जो पिटाई की, वो देखने लायक थी। महज़ 173 गेंदों में 33 झनाटेदार चौके और 9 गगनचुंबी (High-rise) छक्कों के दम पर 264 रन ठोक वन डे क्रिकेट इतिहास का सर्वश्रेष्ठ स्कोर बना डाला। ये हिटमैन का दूसरा दोहरा शतक था। जहां उन्होंने सहवाग के 219 के हाईएस्ट (Highest) स्कोर को तोड़, एक ऐसा पहाड़ सा व्यक्तिगत (Personal) स्कोर डाला, जिसे पार करना तो सपने (Dream)में भी असंभव (Impossible) लगता है। 9 साल से यह रिकॉर्ड (Record) अटूट (Unbrakeable) है। वो कैच (Catch) छूटने के बाद जो जादू रोहित ने दिखाया, वो देखकर ऐसा लगा ही नहीं कि वे इंजरी (Injury)से आए हैं। आज भी जब इस मैच को याद किया जाता है तो हम फैंस (Fans) और थिसारा परेरा यही सोचते हैं कि अगर उस दिन वो कैच पकड़ा गया होता तो 4 से 264 तक की यात्रा (Travel) देखने को न मिलती,264 का हाईएस्ट स्कोर न बनता, भारत का स्कोर 404 न बनता और रोहित के नाम आज भी शायद 2 ही दोहरे शतक (Century) होते। ये क्रिकेट इतिहास (History) का सबसे कीमती और ब्लंडर वाला कैच ड्रॉप (drop) था जिसका खर्चा 260 रन आया।तभी तो कहते हैं कि कैचेज विन मैचेज। क्योंकि कैचेस ही मैच में वापस लाते हैं। अगर उस दिन ये कैच लपक लिया होता तो अफसाना कुछ और होता।लेकिन उस दिन शायद भगवान भी चाहते थे कि इतिहास बने। और मुक्दर भी रोहित के साथ था।

Coach Allan Donald poses

3. विश्व कप 1999,वॉट इफ एलन डोनाल्ड वो रन भाग लेते: कई बार क्रिकेट में सब कुछ परफैक्ट (Perfect) होकर भी हैप्पी (Happy Ending)  एंडिंग नहीं हो पाती। जब एक खिलाड़ी अपनी जी जान लगा देता है, अपनी टीम को जीत का दहलीज (Threshold) पर ला खड़ा करता है लेकिन फिर भी जीता नहीं पाता। उससे दुखद और कुछ नहीं होता। ऐसा ही कुछ हुआ था 1999 विश्व (World) कप में साउथ अफ्रीका के साथ। जो कि पूरे टूर्नामेंट अच्छी क्रिकेट खेलती आई थी। जिसके सबसे बड़ा श्रेय (Credit) रहे थे उस टीम के स्टार खिलाड़ी लैंस क्लूजनर, जिन्होंने कई फसे हुए, लगभग हारे हुए मैच दक्षिण अफ्रीका की झोली में ला दिए थे।क्लूजनर के योगदान का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 4 बार मैन ऑफ द मैच बने क्लूजनर उस टूर्नामेंट (Tournament) के मैन ऑफ द टूर्नामेंट भी थे। सेमीफाइनल में भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ साउथ अफ्रीका की डूबती नैया को उन्होंने लगभग पार लगा ही दिया था। और अकेले अपने दम पर टीम का स्कोर (Score) जीत की दहलीज पर ले आए थे। लेकिन 3 गेंदों में केवल एक रन की दरकार भी पूरी न हो सकी। क्योंकि डोनाल्ड भागे ही नहीं। लगभग 200 के स्ट्राईक (Strike) रेट से 31 रन बनाने वाले क्लूसनर तो सिंगल (Singal) भाग चुके थे लेकिन डोनाल्ड ने अपनी क्रीज़ (Crease) ही नहीं छोड़ी। और मैच टाई होने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया बेहतर रन रेट (Rate) की वजह से फाइनल में पहुंच गई। और विश्व (World) कप जीत भी गई। दक्षिण अफ्रीका बिल्कुल जीत की दहलीज पर आकर न हारते हुए भी हार गई। और ये दास्तां “सो क्लोज येट सो फार” हो गई। आज भी जब उस वर्ल्ड (World) कप को याद करते हैं, खासतौर पर 90′ s के किड्स, तो यही सवाल बार बार मन में दस्तक देता है कि डोनाल्ड क्यों नहीं भागे। उनका काम था लैंस की कॉल (Call) सुनना, ना कि गेंद को देखना।काश वो रन भाग जाते, तो कम से कम एक वर्ल्ड कप तो दक्षिण अफ्रीका के नाम होता। और चोकर्स का टैग तो उन पर न लगता। वो कलंक, जो कई दशक (Decade) से एक अभिशाप (Curse) सा बन गया है। एलन डोनाल्ड खुद इसके लिए आज तक खुद को माफ नहीं कर पाए। अगर वे उस दिन रन आउट न होते तो दक्षिण अफ्रीका फाइनल में पहुंच जाती और पाकिस्तान को हराकर चैम्पियन बन जाती। प्रोटीज (Protease) के भी कैलिस, रोड्स, क्लूजनर जैसे महान खिलाड़ियों के नाम कम से कम एक वर्ल्ड कप ग्लोरी, (Glory) एक ट्रॉफी तो होती। पर बदकिस्मती से,ये उनके नसीब में नहीं था।

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Ben Stokes

2. विश्व कप 2019 फाइनल,काश गेंद स्टोक्स के बल्ले से न टकराती: दोस्तों 1975 से लेकर 2019 तक के वर्ल्ड कप और उनके विजेताओं (Winners) पर जब हम नज़र डालते हैं तो बाकी विश्व (World) कप का तो ठीक है लेकिन 2019 का विश्व कप थोड़ा अधिक उत्साहित (Excited) करने वाला, और थोड़ा कंट्रोवर्सी (Controversy)  वाला भी रहा। हां, अगर वैसे हम विजेताओं पर नज़र डालें तो देखने में तो केवल ये टीमों के नाम लगते हैं लेकिन अगर गहराई में जाएं तो ये सवाल तो उठेगा कि क्या इंग्लैंड वाकई उस वर्ल्ड कप का विनर था। क्या सच में इंग्लैंड के ही हाथ में वो ट्रॉफी (Trophy) होनी चाहिए थी। खैर इस सवाल का जवाब हम आप पर छोड़ते हैं। कमेंट कर बताइएगा। लेकिन जिस तरीके से फैसले इंग्लैंड के पक्ष में दिए गए क्या वो सही थे, तो जवाब आता है नहीं। ये तो हम सब जानते ही हैं कि इंग्लैंड की बैटिंग (Batting) में आखरी (Last) ओवर (Over) का क्या हाल था। जहां स्टोक्स (Stokes) के छक्के से अंतिम 3 गेंदों में 9 रन बचे थे। और फिर जिस तरह अगली गेंद में डबल लेते उनके बल्ले से डिफ्लेक्ट (Deflect) होकर गेंद बाउंड्री (Boundary) पर चली गई। और अंपायर (Umpire) का 6 रन देना, मैच का सबसे बड़ा टर्निंग (Turning) पॉइंट (Point) साबित हुआ।
स्टोक्स (Stokes) ने तो अंपायर को वो चार रन हटाने के लिए भी कहा था। लेकिन क्रिकेट में नियम तो यह है कि अगर थ्रो (Throw) स्टंप्स (Sumps) पर है और बैट्समैन (Batsman) को हिट करे और गैप में चली जाए तो आप रन नहीं लेते। लेकिन अगर यह बाउंड्री पर चली जाए, तो नियमों में यह चार है और आप इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते। लेकिन नियम ये है कि यदि थ्रो बाउंड्री पर चली भी गई तो तब तक जितने रन पूरे किए गए, और 4 रन बाउंड्री के, वोही टीम के खाते में जुड़ते हैं। उसूल के हिसाब से उस गेंद पर 5 रन बनते थे। क्योंकि जब गुप्टिल (Guptill) की वो थ्रो (Throw) आई,तो अभी स्टोक्स ने दूसरा रन पूरा नहीं किया था।लेकिन वो एक एक्स्ट्रा (Extra)  रन देना मैच (Match) टाई (Tie) होने की वजह बना। वरना कीवी (Kiwi) एक रन से ये खिताबी मुकाबला जीत जाते। लेकिन धर्मसेना का वो 6 रन देना , और सुपर (Super) ओवर (Over) होना। दोनों टीमों के बराबर स्कोर (Score) होने के बावजूद उस घटिया बाउंड्री रूल के चलते न्यूजीलैंड का खिताब को बेयरेस्ट ऑफ़ मार्जिन (Margin) से हारना दर्शाता है कि उस दिन क्रिकेट की रुलबुक, कायनात सब इंग्लैंड को ही विजेता बनाने पर तुली थी। पर न्यूज़ीलैंड ने काफ़ी अच्छी क्रिकेट खेला था, वे किसी दूसरे के रिजल्ट (Result) या कुदरत के सहारे से नहीं बल्कि परफॉर्मेंस (Performance) से फाइनल में आई थी।और इस टूर्नामेंट जीतने की असली हकदार वही थी। अगर उस दिन अंपायर वो 6 रन न देता तो निश्चित ही ये कप न्यूज़ीलैंड का होता। लेकिन उस दिन लक न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध था। आखरी में यही कह सकते हैं बैटर लक नेक्स्ट टाइम।

MS Dhoni

1. विश्व कप 2019, सेमी फाइनल,काश धोनी उस दिन डाइव मार देते: 2019 विश्व कप कई दिग्गजों का आखरी आईसीसी (ICC)  टूर्नामेंट, आखिरी विश्व कप था। जिसके बाद हमें अपने बचपन के हीरोज (Heroes) दोबारा नहीं दिखे। चाहे वो फाफ डु प्लेसिस (Plessis)  हों, या ताहिर, हफीज़, डुमिनी, गेल या धोनी। सर्वाधिक लगाव फैंस को धोनी से था। और उनकी फेयरवेल (Farewell) का एक वर्ल्ड कप तो हर फैन चाहता था। भारत का वर्ल्ड कप भी काफ़ी अच्छा जा रहा था। हम सेमीफाइनल (Semifinal) में भी पहुंच गए। और न्यूज़ीलैंड को केवल 239 रनों पर रोक हमारा फाइनल का रास्ता साफ़ लग रहा था। लेकिन तभी हमारे बल्लेबाजों (Batsman) ने धोखा दे दिया और महज 5–3 होकर भारतीय पारी बुरी तरह लड़खड़ा (Wobble) गई। जहां जड़ेजा ने एक अंडर प्रेशर 77 रनों की महान पारी खेल हमें वापिस मैच में ला दिया। लेकिन उनके आउट (Out) होते ही बात बिगड़ गई।

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अन्तिम 2 ओवर में 31 रन चाहिए थे। लेकिन क्रीज़ पर अभी भी माही थे। दुनिया के बेस्ट फिनिशर (Finisher)। जिसने ये असंभव  (Impossible) कार्य (Work) पहले भी किया था। और पहली गेंद पर छक्का लगाते ही दिल खुश कर दिया। अब दरकार थी 10 गेंदों में 25 रनों की। धोनी ने फाइनलेग (Final leg) की ओर शॉट (Short) खेला और तेज़ी से दूसरा रन लेने के लिए दौड़ पड़े। लेकिन तभी गुप्टिल का वो विनाशकारी (Destructive) थ्रो, जिसने करोड़ों फैंस के दिलों और विश्व (World) कप जीतने के सपने को भी चकनाचूर कर दिया। और ऊपर से धोनी का वो रोता चेहरा आज भी वो दर्दनाक (Painful) दृश्य (Scene) भुलाए नहीं भूलता। भारत का 18 रनों से हारकर टूर्नामेंट (Tournament) से हार्ट ब्रेकिंग एग्जिट (Exit) हो गया।लेकिन इस हार के साथ करोड़ों फैंस के दिलों में एक ही सवाल उठा, कि वर्ल्ड कप का मुकाबला, दुनिया के सबसे फिट (Fit) और फुर्तीले (Nimble) खिलाड़ियों में से एक धोनी ने डाइव (Dive) क्यों नहीं मारी। गुप्टिल का वो थ्रो (Throw) क्यों नहीं चुका।अब गुप्टिल जैसा टॉप का फील्डर (Filder) तो मौके छोड़ने से रहा, लेकिन खैर, अब अगर धोनी डाइव मार देते तो कहानी कुछ और होती। आज भी जब उस मैच की हाइलाइट्स देखते हैं तो रोना आ जाता है। और उसी सवाल के साथ ये ज़ख्म हरा हो जाता है कि धोनी ने डाइव क्यों नहीं मारी। क्योंकि 10 गेंदों में तो क्या, धोनी 6–7 गेंदों में भी 23 रन बनाने का दमखम रखते हैं। ये सवाल धोनी के खुद के मन में भी आज भी खटकता है कि उन्होंने डाइव क्यों नहीं मारी। चंद इंचेस (Inches) का सफ़र आसानी से कवर (Cover) किया जा सकता था। भारत फाइनल (Final) में पहुंच जाता और हम इंग्लैंड को हरा देते। सब कुछ हैप्पी (Happy) एंडिंग (Ending) हो सकता था और माही को एक शानदार फेयरवेल (Farewell), ट्रिब्यूट (Tribute)। क्योंकि ये टीम किसी को भी हराने का दम खम रखती थी। ये वर्ल्ड कप हमारा ही था। ये ट्रॉफी हमारी हो सकती थी। खैर, अब जो हुआ सो हुआ। ये ज़ख्म 2023 विश्व (World) कप की जीत ही भर सकती है।

तो दोस्तों ये थे क्रिकेट के कुछ बिगेस्ट वॅट इफ जो यदि हो जाते तो करोड़ों हार्टब्रेक से हम बच जाते, और दास्तां कुछ और होती। आज की पोस्ट में इतना ही। मिलते हैं अगली पोस्ट में।अब हमें दीजिए इजाज़त। धन्यवाद।

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