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Sri Lanka Cricketer Arjuna Ranatunga Biography

पन्द्रह ओवरों का खेल खत्म होते ही कप्तान (Captain) ने बाल स्पिनर (Spinner) को सौंप दी | लेकिन उस बालर के ओवर (Over) शुरू करते ही उनकी गेंद को नो (No) बॉल करार (Agreement) दे दिया गया | बस ये कप्तान भड़क गया | वो सीधे उस अम्पायर (Umpire) के पास गया जिसने नो बॉल (Ball) दी थी | और उनसे तीखी बहस शुरू कर दी | पूरी दुनिया (World) एक कप्तान (Captain) को अपने खिलाड़ी के लिए बीच मैदान लड़ते हुए लाइव देख रही थी | कोई कप्तान अपने एक खिलाड़ी के लिए इस हद तक जा सकता है कि मैदान पर मौजूद अम्पायरों को ही ऊँगली दिखा के बात करे ये शायद कम ही होता है | दोनों मैदानी अम्पायर उसे शांत करने समझाने की कोशिश में लगे रहे लेकिन उसके अंदर धधक रही ज्वाला रह रह कर बाहर निकल रही थी | आखिरकार उसने एक फैसला लिया | उसने अपनी टीम को साथ लिया और पूरी टीम सहित मैदान के बाहर बाउंड्री लाइन पर जा खड़ा हुआ | ऐसे कप्तान कम ही खिलाड़ियों और टीमों को नसीब हुआ करते हैं | ये कप्तान श्रीलंका के सबसे सफल कप्तानों में से एक है और इकलौता ऐसा कप्तान है जिसकी कप्तानी में श्रीलंका ने पहली और इकलौती बार वर्ल्ड कप जीता | काफी लोग अब तक समझ चुके होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं | हम बात कर रहे हैं श्रीलंका के कप्तान रहे बेहतरीन खिलाड़ी अर्जुन राना तुंगा की |


Arjuna Ranatunga (Sri Lanka)

अर्जुन राना तुंगा का जन्म 1 दिसम्बर 1963 में सीलोन में हुआ था | राना तुंगा की पढाई लिखाई आनंदा कॉलेज (College) में हुई | ये वो कॉलेज है श्रीलंका के बड़े बड़े क्रिकेटर (Cricketer) पढ़ कर निकले | थिलन समरवीरा, दिनेश चंदिमल, थिलिना कन्दाम्बी जैसे खिलाड़ी इसी कॉलेज से निकले | क्रिकेट खेलने का शौक उन्हें बचपन से ही था | अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में वो स्कूल की तरफ से खूब क्रिकेट खेला करते थे | उन्होंने साल 1980 और 1982 में Observer Sri Lanakan School Boy Cricketer of the Year ka award जीता | लगातार दो बार ये अवार्ड (Award) पाने वाले ये पहले खिलाड़ी थे | उन्होंने भारत के खिलाफ अंडर (Under) 20 में भी खेला | अपने पहले ही मैच में उन्होंने 128 रन कूट डाले | अपने लगातार अच्छे खेल की वजह से उन्हें जल्दी ही नेशनल (National) टीम से बुलावा आ गया | 18 साल की उम्र में ही वो श्रीलंका की टेस्ट (Test) टीम में शामिल कर लिए गये | ये मैच न केवल राना तुंगा का पहला मैच था बल्कि श्रीलंका का भी पहला ही टेस्ट मैच था | इंग्लैंड के खिलाफ खेले इस मैच में राना तुंगा ने पचास (Fifty) जड़ दिया और इसी के साथ वो हाफ सेंचुरी (Century) ठोंकने वाले अपने देश (Country) के पहले खिलाड़ी (Player) बन बैठे | बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि अपने कैरियर (Career) के शुरूआती दिनों में अर्जुन इंश्योरेंस ब्रोकर का भी काम भी किया करते थे |

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कोलम्बो का पी सारा ओवल मैदान (Field) | मार्च का महीना (Months) साल 1986 | श्रीलंका पाकिस्तान के बीच टेस्ट सिरीज (Series) का तीसरा मैच | श्रीलंका की दूसरी पारी में महज 83 रनों के स्कोर (Score) पर तीन विकेट गिर चुके थे | रोशन महानामा और अरविन्द डी सिल्वा जैसे महारथी सस्ते में ही निपट चुके थे | फिर मैदान पर आये अर्जुन राना तुंगा और उन्होंने 22 गज की पिच पर खूँटा गाड़ दिया | उन्होने 208 गेंदें खेलीं और 135 रनों की शानदार पारी खेली | इस पारी में उन्होंने 14 चौके तोड़े तो 4 गगनभेदी छक्के उडाये | इसके साथ ही उन्होंने दुनिया के सामने ऐलान (Announce) कर दिया कि श्रीलंकन क्रिकेट में एक नये सितारे का जन्म हो चुका है | ये उनकी ये इनिंग इसलिए भी ख़ास थी क्योंकि उस दौर में पाकिस्तान का बालिंग (Bowling) अटैक (Attack) दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता था | इमरान खान, वसीम अकरम, अब्दुल कादिर जैसे धुरंधरों का उस दौर में खौफ हुआ करता था |

अर्जुन अक्सर मध्य क्रम (Order) में बैटिंग किया करते थे | उनकी एक और यादगार पारी एक बार फिर दूसरी इनिंग (Inning) में ही आई | साल 1993 में साउथ अफ्रीका का श्रीलंका दौरा | दूसरी पारी में महज 75 रनों के स्कोर पर श्रीलंका ने चार विकेट गँवा दिए थे | फिर मैदान पर आये कप्तान अर्जुन राना तुंगा | उन्होंने आते ही आते कमान अपने हाथों में ले ली | इस पारी में उनका अलग ही रूप देखने को मिला | उन्होंने 131 रन बनाये और इसके लिए गेंदें खेलीं महज 140 | इस पारी की शोभा बढ़ा रहे थे 18 जबर चौके और 1 बेमिसाल छक्का | हालाँकि ये मैच ड्रा ही रहा लेकिन उनकी ये पारी यादगार है |

रणतुंगा को 1988 में ही कप्तानीI (Captainy) सौंप दी गई थी | वो अक्सर खेलों में कुछ नया करने के लिए जाने जाते थे | वो जो भी नया करते दुनिया भर की बाकी टीमें उसे ही फॉलो (Follow) करतीं | उन्होंने श्रीलंका टीम में एक नया जोश एक नया जज्बा भरा | और उनकी कप्तानी में देखते ही देखते श्रीलंकाई टीम कमजोर टीम से जुझारू (Belligerent)  टीम में बदल गई | साल 1996 का वर्ल्ड कप भला कौन भूल सकता है | रणतुंगा ही वो कप्तान थे जिन्होंने बाकी टीमों को पहले पन्द्रह ओवरों (Over) में ज्यादा से ज्यादा रन बनाना सिखाया | उनकी टीम जब भी बैटिंग करती पहले पन्द्रह ओवरों में जमकर तुड़ाई करते | जबकि इससे पहले सभी टीमें शुरूआती पन्द्रह ओवरों में विकेट बचाने की रणनीति (Strategy) अपनाया करती थीं |

उस साल वर्ल्ड (World) कप का आयोजन (Events) भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने संयुक्त रूप से किया था | भारत में 17 मैच, पाकिस्तान में 16 मैच और श्रीलंका में केवल चार मैच खेले जाने थे | वर्ल्ड कप का आयोजन 14 फरवरी से 17 मार्च तक किया जाना था लेकिन उससे पहले ही कुछ ऐसा हो गया जिसके चलते वर्ल्ड कप का आयोजन खतरे में पड़ गया था | असल में जनवरी में तमिल टाइगर्स द्वारा सेन्ट्रल बैंक में बम बारी की गई थी | जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये थे | जिसके चलते आस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए श्रीलंका जाने से मना कर दिया था | इन दोनों ही टीमों को ग्रुप स्टेज (Stage) में श्रीलंका के खिलाफ मैच खेलने थे | हालाँकि इसका सीधा फायदा श्रीलंका को हुआ | ICC ने बिना मैच खेले ही इन दोनों मैचों का विजेता घोषित कर दिया | हालाँकि श्रीलंका के कप्तान (Captain) अर्जुन राना तुंगा को ये बात बिलकुल पसंद नहीं आई | उन्होंने कहा भी कि वो इस वर्ल्ड कप का फाइनल (Final) आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलना चाहेंगे |

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टूर्नामेंट (Tournament) की शुरुआत में श्रीलंका को किसी ने भी विश्व कप का दावेदार (Claimant) नहीं माना था | लेकिन पहले ही मैच से इस टीम ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था | कोच डेव व्हाटमोर (Whatmore) और कप्तान राना तुंगा ने मिलकर ऐसी रणनीति बनाई थी कि सारी टीमें धड़ाम हो गईं | जब तक दुनिया इसे समझ पाती तब तक टूर्नामेंट ख़त्म हो चुका था | सनथ जयसूर्या और रमेश कलुवितराना की जोड़ी ने शुरूआती 15 ओवरों में जो कहर बरपाया कि एक से एक धुरंधर बॉलरों (Bowlers) को दिन में तारे दिखने लगे थे | बाकी मध्य क्रम सँभालने के लिए अरविन्द डी सिल्वा, रोशन महानामा, खुद कप्तान और हसन तिलकरत्ने मौजूद थे | ग्रुप स्टेज में टॉप (Top) करने के बाद सेमी फाइनल में श्रीलंका का मुकाबला था भारत से | कोलकाता का इडेन गार्डन दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था | दर्शकों का जोश पूरे उफान पर था | मैदान में बैठा और टीवी से चिपका हर क्रिकेट प्रेमी भारत को हर हाल में फाइनल में देखना चाहता था |

मैच की शुरुआत में तो एक बार लगा कि भारत ने श्रीलंका शेरों को दबोच लिया है | रमेश कालू वितराना बिना खाता खोले पवेलियन (Pavilion) लौट गये वहीं सनथ अपने खाते में केवल एक रन जोड़ कर चलते बने | असंका गुरुसिन्हा भी सनथ का साथ निभाते हुए महज एक रन बनाकर लौट गये | अब सबकी निगाहें श्रीलंका के मध्यक्रम पर टिकी थीं | अरविन्द डी सिल्वा और रोशन महानामा आये और दोनों ने खूँटा गाड़ दिया | डी सिल्वा ने जहाँ 47 गेंदों में 66 रन जड़े वहीं महानामा ने भी 58 रन बनाये जिसके लिए 101 गेंदें खेलीं | राना तुंगा ने भी 35 रन तो तिलकरत्ने ने 32 रनों का योगदान दिया | इस तरह मिडिल आर्डर के दम पर श्रीलंका ने भारत के सामने 251 रनों की चुनौती रख दी | भारत की उम्मीदें मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर पर टिकी हुई थीं | सचिन ने 65 रन जोड़े भी लेकिन बाकी बल्लेबाज शायद किसी जल्दी में थे | विकेट (Wicket) गिरने की ऐसी झड़ी लगी कि देखते ही देखते भारत का स्कोर 34 ओवरों में 8 विकेट पर 120 रन हो गया | अब तक किसी चमत्कार की आस लगाये मैदान में बैठे दर्शकों के सब्र का बाँध टूट गया | उन्होंने खिलाडियों पर पानी की बोतलें फेंकनी शुरू कर दी और स्टेडियम (Stadium) में आग तक लगा दी | मैच को तत्काल (Immediately) रोक दिया गया और कुछ समय बाद मैच रेफरी (Referee) ने श्रीलंका को सेमी फाइनल (Final) का विजेता घोषित (Announced) कर दिया | इस तरह श्रीलंका पूरा मैच खेले बिना ही फाइनल मैच में पहुँच चुका था |

17 मार्च 1996 | लाहोर का गद्दाफी स्टेडियम | मौका था श्रीलंका और आस्ट्रेलिया के बीच वर्ल्ड कप फाइनल का | टॉस (Toss)  श्रीलंकाई कप्तान राना तुंगा ने जीता | और पूरी दुनिया हैरान रह गई जब उन्होंने पहले फील्डिंग चुनी | विश्व कप के तब तक के इतिहास में कोई भी टीम बाद में बैटिंग करके नहीं जीत पाई थी | एक बार तो लगा कि कहीं राना तुंगा का अति उत्साह टीम और देश के लिए भारी न पड़ जाये | आस्ट्रेलिया ने श्रीलंका के सामने 241 रनों का ठीक ठाक स्कोर खड़ा किया | अब गेंद श्रीलंकाई बल्लेबाजों के पाले में थी | लेकिन पूरे टूर्नामेंट में तहलका मचाने वाली जयसूर्या और कालू वितरना की जोड़ी सेमी फाइनल की तरह यहाँ भी दगा दे गई | लेकिन फिर हमेशा की मोर्चा संभाला टीम के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज अरविन्द डी सिल्वा ने | पहले आशंका गुरु सिन्हा ने फिर कप्तान ने उनका उनका बढ़िया साथ निभाया | डी सिल्वा ने शायद अपने कैरियर की सबसे बेहतरीन पारी खेलते हुए शतक (Century) जड़ा वहीं कप्तान ने विजयी चौका जड़कर इतिहास (History) रच दिया | श्रीलंका ने पहली बार वर्ल्ड कप जीत लिया था |

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लेकिन खेल में कुछ भी परमानेंट (Permanent) नहीं रहता | जिस खिलाड़ी ने बतौर (As) कप्तान अपने देश को पहली बार विश्व कप जिताया उसी खिलाड़ी को अगले वर्ल्ड कप में ख़राब परफॉरमेंस के बाद टीम से बाहर कर दिया गया | राना तुंगा ने साल 2001 में क्रिकेट से सन्यास ले लिया | राना तुंगा ने कुल 93 टेस्ट मैच खेले और 35 के एवरेज से 5000 से भी ज्यादा रन बनाये | जबकि 269 वन डे मैचों में 35 के ही एवरेज से लगभग साढ़े सात हजार रन बनाये |

राना तुंगा उन खिलाडियों में शामिल हैं जो अपने खेल के साथ ही साथ तमाम विवादों (Controversies) के चलते भी सुर्खियों (Limelight) में रहते हैं | वो अपनी फिटनेस (Fitness) को लेकर हमेशा सुर्खियाँ बटोर लिया करते थे | वो बदन से थुलथुल (Chubby) तो थे ही बैटिंग करते समय भी अक्सर रनर यूज़ किया करते थे | आस्ट्रेलिया के खिलाफ एक मैच के दौरान उनके रनर लेने पर आस्ट्रेलिया के विकेट कीपर बैट्समैन इयान हीली ने उन पर और उनके मोटापे पर कुछ कमेंट कर दिए थे | बस कप्तान साहब नाराज हो गये और अपने खिलाडियों को सख्त हिदायत (Instruction) दे डाली कि मैच के बाद उनका कोई भी खिलाड़ी किसी भी आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी से हाथ नहीं मिलाएगा |

जिस घटना के साथ हमने ये पोस्ट शुरू किया था वो भी उनके कैरियर (Career) की बड़ी घटनाओं और विवादों में एक थी | वो जिस बालर के सपोर्ट (Support) में अपनी टीम को लेकर मैदान के बाहर खड़े हो गये थे वो बालर कोई और नहीं बल्कि मुथैया मुरलीधरन थे |

राना तुंगा अपने विवादास्पद (Controversial) बयानों को लेकर भी चर्चा बटोर ले जाते हैं | जब BCCI ने साल 2008 में पहली बार आईपीएल (IPL) शुरू किया था तब उन्होंने इसे इंस्टेंट नूडल्स बता दिया था | एक बार तो उन्होंने श्रीलंका के दौरे BCCI द्वारा भारत की कम अनुभवी (Seasoned) टीम भेजने पर उसे श्रीलंका का अपमान तक बता डाला था | क्रिकेट से रिटायर (Retire) होने के फ़ौरन बाद ही राना तुंगा ने पॉलिटिक्स (Politic) में एंट्री (Entry) कर ली थी | हालाँकि इसमें भी वो विवादों से बचे नहीं रह पाए | साल 2018 में श्रीलंका पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया था |

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जुलाई 2017 में क्रिकेट के गलियारों में तूफ़ान आ गया जब राना तुंगा ने 2011 का वर्ल्ड कप फाइनल (Final) फिक्स होने का आरोप लगा डाला | श्रीलंका के खेल मंत्री रहे महिन्दनन्दा ने भी इन आरोपों का सही बताया | हालाँकि तीन साल बाद श्रीलंकन पुलिस ने तथ्यों के अभाव में फिक्सिंग के आरोपों (Illigations) को सिरे से ख़ारिज (Rejected) कर दिया | ICC ने भी ऐसी किसी सम्भावना (Possibility) को नकार दिया | वहीं 2018 में श्रीलंकन क्रिकेट प्रेसिडेंट (Predict) थिलन्गा समथिपला ने राना तुंगा और अरविन्द डी सिल्वा पर 1994 के दौरान मैच फिक्सिंग में शामिल रहने का आरोप जड़ दिया था | इसी साल राना तुंगा पर एक इंडियन फ्लाइट (Flight) अटेंडेंट (Attendant) ने मुंबई के एक होटल में उत्पीडन करने का आरोप भी लगाया था |

अर्जुन राना तुंगा क्रिकेट के बाद पॉलिटिक्स की गलियों से होते हुए अब बिजनेस के बाजार में उतर चुके हैं | हाल ही में उन्होंने एक जॉइंट वेंचर की घोषणा (Announce) की | ये कम्पनी श्रीलंका में इलेक्ट्रिक (Electric) टू (Two) व्हीलर (Wheeler) बनाने का काम करेगी |

राना तुंगा एक महान क्रिकेटर और कप्तान थे | जिन्होंने अपनी टीम को फर्श से अर्श तक पहुँचाया | उनकी कप्तानी (captaincy) में श्रीलंका क्रिकेट ने अपने सुनहरे दौर में कदम रखा | हम उम्मीद करते हैं कि ये पोस्ट आपको पसंद आया होगा | इस खिलाड़ी पर अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर रखें |

 


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